For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ ज्वलन्त विषयों पर कुण्डलिया

नशाख़ोरी

करते हैं जन जो नशा, होता उनका नाश
तिल-तिल गिरते पंक में, बनते हैं अय्याश
बनते हैं अय्याश, नष्ट कर कंचन काया
रिश्तों को कर ख़ाक बनें लगभग चौपाया
छपती खबरें रोज न जाने कितने मरते
युवा वर्ग गुमराह नशा जो हर दिन करते।।1

जरदा गुटखा पान सँग, बीड़ी औ' सिगरेट
अब यह कैसे बन्द हो, इस पर करें डिबेट
इस पर करें डिबेट, किया क्या हमने अब तक
आसानी से नित्य पहुँचता क्यों यह सब तक
बालक, वृद्ध, जवान न करते इनसे परदा
खाते है सब साथ, पान सँग गुटखा जरदा।।2

समसामयिक राजनीति

जनता जनप्रतिनिधि चुनें, करके बहुत विचार
सत्ता लोलुपता यहाँ, बिकने को तैयार
बिकने को तैयार, छोड़कर अपने दल को
जनादेश असहाय, देखती उनके छल को
जुड़ते उनके साथ, कभी थी जिनसे भिनता
रह जाती झक मार, चुनी थी जो भी जनता।।3

मर्यादा रख ताक पर, नेता बदलें रंग
देखो कैसी हो गयी, राजनीति बेढंग
राजनीति बेढंग, जहाँ आदर्श न कोई
उनको भष्टाचार, लगे साला बहनोई
दुनिया में बदनाम, तवायफ़ सबसे ज्यादा

पर उनके भी बीच तनिक रहती मर्यादा।।4

भ्रूण हत्या पर अजन्मी बेटी का कथन

प्यार न करना तू भले, करना नहीं दुलार
मगर जन्म से पूर्व ही, माँ मुझको मत मार
माँ मुझको मत मार, गर्भ में दवा खिलाकर
यूँ जी लूँगी मैं भी रूखा सूखा खाकर
मुझको ही तो देख, कहेगा भैया! बहना
माँ मुझको दे जन्म, भले तू प्यार न करना।।5

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on December 13, 2019 at 8:29pm

आद0 महेंद्र जी सादर अभिवादन, रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन का अभिनन्दन स्वागत

Comment by Mahendra Kumar on December 4, 2019 at 9:42pm

बढ़िया कुण्डलियाँ हैं आदरणीय सुरेन्द्र जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

Comment by नाथ सोनांचली on December 3, 2019 at 7:28pm

आद0 अग्रज समर कबीर साहब सादर प्रणाम। रचना पोस्ट करने के बाद हम साहित्य साधको की यहीं इच्छा होती है कि आप उसे एक बार नजर करें। आपकी बेशकीमती सलाह और इस्लाह सदैव हमारा मार्गदर्शन करती है। आपका हृदय तल से आभार

Comment by नाथ सोनांचली on December 3, 2019 at 7:26pm

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। रचना पर आपकी उपस्थिति और अनुमोदन के लिए हृदय तल से आभार

Comment by Samar kabeer on December 1, 2019 at 6:53pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब, आज के ज्वलन्त विषयों पर बहुत उम्द: कुण्डलिया छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 1, 2019 at 7:07am

आ. भाई सुरेंद्र जी, सादर अभिवादन। उत्तम प्रस्तुति हुई है समसामयाक विषयों को लेकर , हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by नाथ सोनांचली on November 30, 2019 at 8:36pm

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। आपकी प्रतिक्रिया मनोहारी है। बहुत बहुत आभार आपका इस खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए

Comment by Sushil Sarna on November 30, 2019 at 8:25pm

वाह आदरणीय सुरेन्द्र जी वास्तव में ये ज्वलन्त प्रश्न हैं जिनका निदान आवश्यक है। इस सार्थक प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
5 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
17 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
47 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
48 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
53 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
59 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service