साथियों,
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उसके चेहरे पे, उसकी आँखों में
जाने कितना पढ़ा गया है मुझे
बेहतरीन शेअर. इस मुरस्सा कलाम पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें आ० अजीत शर्मा आकाश जी.
आ0 योगराज जी.... बहुत-बहुत आभार !!!
आदरणीय अजीत आकाश भाई, आपकी एक और क़ामयाब ग़ज़ल से ग़ुज़र रहा हूँ.
हर स्शेर अपनी अलग कहानी कह रहा है. लेकिन इस शेर का तो ज़वाब नहीं है -
उसके चेहरे पे, उसकी आँखों में
जाने कितना पढ़ा गया है मुझे
बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ
बहुत-बहुत आभार आपका आ0 सौरभ जी !!!
उसके चेहरे पे, उसकी आँखों में
जाने कितना पढ़ा गया है मुझे .....वाह वाह...लाजवाब शेर ,....जितनी तारीफ करें उतनी कम.....आदरणीय आकाश जी ढेर सारी दाद कबूल कीजिये|
अभिभूत हूँ आ0 राणा प्रताप जी.... हार्दिक आभार !!!
आदरणीय अजीत शर्मा आकाश जी, आपकी दूसरी ग़ज़ल भी अच्छी है, दाद कुबूल करें।
दूसरी प्रस्तुति
दिन में तारे दिखा गया है मुझे
नींद से वो जगा गया है मुझे
कोयला बन सकी न राख हुई
उसका धोखा जला गया है मुझे
आसमां छीन कर मेरा अपना
इस जमीं पर बिठा गया है मुझे
मैंने इंसा जिसे बनाया था
वो ही पत्थर बना गया है मुझे
करके दरिया को पार इक तिनका
दुनिया दारी सिखा गया है मुझे
जिंदगी का ख़राब इक लम्हा
हाशिये से मिटा गया है मुझे
बिन ख़ता के तेरी अदालत में
जाने क्या-क्या कहा गया है मुझे
ऐब मुझमे हज़ार कह-कह कर
खत्म पल-पल किया गया है मुझे
अब खुशी दे या छीन ले मौला
सब्र करना तो आ गया है मुझे
मौलिक एवं अप्रकाशित
आ. राजेश दीदी दूसरी ग़ज़ल भी अच्छी हुई सादर बधाई।
तरही मुशायरे के 100 वें आयोजन में आपकी कुछ कमी महसूस हो रही है
बहुत बहुत शुक्रिया शिज्जू भैया .कल से तो सक्रीय हूँ .आज कल मुम्बई में बच्चों का पास हूँ नेट पर कम आना होता है
बेहद उम्दा ग़ज़ल हुई है, आ0 राजेश कुमारी जी.... बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें !!!
आद० अजीत आकाश जी आपका दिल से शुक्रिया
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