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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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आदरणीय अजीत जी आपका तहे दिल से शुक्रिया|

आदरणीय राणा प्रताप सिंह जी लाजबाब गजल लिखने के लिए बहुत बहुत बधाई

आदरणीय छोटे लाल जी आपका हार्दिक आभार|

आ. भाई राणा प्रताप जी, उम्दा गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब ..आपका तहे दिल से शुक्रिया|

राणा भाई, तरही मुशायरे के सौवें आयोजन की हार्दिक बधाइयाँ   इस बार का आयोजन ओबीओ के मंच के लिए मील का पत्थर है. और आप अपनी अकथ व्यस्तता के बावज़ूद जिस लगन और निरंतरता के साथ मुशायरे को आयोजित करते जा रहे हैं यह हम सभी के लिए गर्व की बात है. 

उस पर इस आयोजन के माध्यम से आपकी एक उम्दा ग़ज़ल पढ़ने को मिल रही है. मतलब सोने पर सुहागा. 

दिन ब दिन मैं रहा सवालों में

और वो जांचता गया है मुझे .. .....

इस शेर पर कुछ भी कहा जाय कम होगा. आपके अब तक के सबसे क़ामयाब शेरों में से यह शेर हुआ है. अतिशय बधाइयाँ. 

शुभ-शुभ

आदरणीय सौरभ सर ..१०० वें तरही मुशायरे की आपको भी बधाइयां ..यक़ीनन यह मील का पत्थर है और लगातार आठ से अधिक सालों से यह आयोजन ओ बी ओ की सफलता की एक अनूठी बानगी है.......आपने ग़ज़ल पसंद की इस हेतु हार्दिक आभार|

छोटी बह्र होने के बावजूद इस ज़मीन पर ग़ज़ल कहना मुश्किल है। पर आपकी ग़ज़ल में जो लय है वो शानदार है। ख़ूबसूरत अशआर से सजी इस बेहद उम्दा ग़ज़ल के लिए दिल से ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय राणा प्रताप सिंह जी। सादर।

आदरणीय महेन्द्र जी ग़ज़ल पर अपना समय और प्रतिक्रया देने के लिए हार्दिक आभार|

आदरणीय राणा प्रताप सिंह जी बढ़ियाग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

राह जब भी तुम्हारी देखी है 

वो बिजी हैं कहा गया है मुझे 

कृपया अन्यथा न लें 100 वे मुशायरे की खुशाी है फिल बदीह शेर भी हो रहे हे । गजल के  लिए बधाई स्वीकार करें

आदरणीय रवि शुक्ला साहब , ग़ज़ल पसंद करने के लिए हर्दिक आभार| लीजिये ओ बी ओ की शान में एक फिल्बदीह शेर हमारी तरफ से भी|

दूर इससे मैं जा नहीं सकता 

अपना हिस्सा बना गया है मुझे 

वाह वाह ।

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"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार "
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"मेरे कहे को मान देने के लिए आपका आभार।"
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"आशा है अवश्य ही शीर्षक पर विचार करेंगे आदरणीय उस्मानी जी।"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"गुत्थी आदरणीय मनन जी ही खोल पाएंगे।"
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