आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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आज की राजनीति हो या पुरा राजसत्ता आम जनता सिर्फ और सिर्फ तमाशबीन ही होती है ये सच है किन्तु समय समय पर इसी जनता ने तमाशबीनता से ऊपर उठकर भी क्रान्ति लाने का कर्म भी किया है| बहुत बहुत बधाई आ० डॉ० विजय शंकर जी .
सच फरमाया आ० डॉ विजय शंकर जी, आम जनता वाक़ई तमाशबीन ही बनकर रह जाता है I आदतन हो या फिर मजबूरन, लघुकथा प्रभावित करती है और प्रदत्त विषय के साथ न्याय भी I हार्दिक बधाई स्वीकार करें I
कटु सत्य । आज के प्रजातंत्र में सभी तमाशबीन बन गए हैं । बधाई आदरणीय Dr. Vijai Shanker ji
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