आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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“‘तमाशबीन’ भी तो होने चाहिए महाराज”
“अरे उनकी चिंता नहीं वो तो खुद ही आ जायेंगे कुत्ते,कव्वे और गधे” कम हैं क्या”? - वाह @ तमाशबीनों का महत्व दर्शाती सुंदर लघु कथा के लिए बधाई आदरणीया राजेश कुमरी जी | सादर
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आ० लक्ष्मण लडिवाला जी , लघु कथा पसंद करने तथा अपने विचार रखने के लिए हार्दिक आभार |
हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी!बेहतरीन कटाक्ष करती प्रस्तुति!
आ० तेजवीर सिंह जी ,आपका बहुत बहुत आभार .
आ० सतविन्द्र भैया ,आपको कहानी पसंद आई आपने उसके मर्म ने प्रभावित किया मेरा लेखन सार्थक हुआ आप तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया
शीर्षक को सही परिभाषित करती अनुपम कथा हेतु हार्दिक बधाई ,आदरणीया !
आ० सुकुल जी ,आपका हार्दिक आभार
आदरणीया राजेश कुमारीजी, ग़ज़ब की प्रस्तुति है. वैसे पेज अब जम्प करने लगे है. अतः टिप्पणी देना बन्द कर रहा हूँ
आ० सौरभ जी,मेस में पार्टी से अभी लौटी हूँ तो नेट बहुत स्लो हो गया है पेज बड़ी मुश्किल से खुल पाया आपकी प्रतिक्रिया मिली बहुत ख़ुशी हुई आपका हार्दिक आभार |
तमाशबीनी भी तो एक काम ही है .. उसके लिए सही कार्यवाहक का चयन किया गजराज जी ने .. बहुत सुंदर निर्वाह आद. राजेश कुमारी जी .. सादर
आ० सुधीर जी आपको लघु कथा पसंद आई बहुत बहुत आभार
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