आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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बढ़िया कथा के लिए बधाई आदरणीय नयना जी ।
आभार सर रचना सराहने के लिये
आभार सर रचना सराहने के लिये
आदरणीया नयना जी, जवान के साथ साथ किसान को भी मान मिलना चाहिये. भूखा किसान बलिष्ठ जवान नहीं पैदा कर सकता है. सुन्दर कथा आक्रोष को सुन्दर प्रकार से प्रस्तुत किया है. विभीषिका नाम आक्रोष को शायद परिलक्षित नहीं कर पा रहा है. सादर.
आ. शुभ्रान्शु जी आभार आपका. शिर्षक के लिये आपसे सहमत हूँ, विचार कर संकलन मे ठीक करती हूँ
आदरणीया नयना जी, आपकी कथा ने भरपूर प्रभावित किया है. हार्दिक बधाइयाँ ..
अभार सर रचना सराहने के लिये किंतु आपसे समिक्षात्मक टिप्पणी की दरकार थी.
सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें आदरणीया नयना जी |
बहुत बढ़िया रचना विषय पर, बधाई आपको
आभार सर रचना सराहने के लिये
भूखे पेट का आक्रोश जब उमड़ता है तो सभी पर भारी पड़ता है सुंदर कथा।
आभार कविता जी
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