For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-15 (विषय: आक्रोश)

आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,

सादर नमन।
 
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के 15 वें अंक में आपका स्वागत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-15
विषय : "आक्रोश"
अवधि : 29-06-2016-2016 से 30-06-2016 
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  29 जून दिन बुधवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
.
अति आवश्यक सूचना :-
१. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
२. सदस्यगण एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
३. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
४. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
५. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी लगाने की आवश्यकता नहीं है।
६. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
७. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
८. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
९. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं। रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें।
१०. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
११. रचना/टिप्पणी सही थ्रेड में (रचना मेन थ्रेड में और टिप्पणी रचना के नीचे) ही पोस्ट करें, गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी बिना किसी सूचना के हटा दी जाएगी I
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 17542

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आक्रोश 

सरहद के समीप उस शहर में आए दिन आतंकवादियों की घुसपैठ होती रहती थी जिसके कारण सेना की बटालियनें हमेशा तैनात रहती। आए दिन तलाशी होती सेना का मार्च होता और बारूद की गंध हवा को बोझिल किए रहती। उस शहर के बाशिंदे दोतरफा मार झेलते।  एक ओर आतंकवादियों की धमकी दूसरी और सेना की चौकसी।  जिस ओर से भी कार्यवाही तेज़ होती उसके लिए आक्रोश बढ़ता जाता कभी आतंकवादियों के लिए तो कभी सेना के लिए। धर्म अपनी प्रकृति के विरुद्ध उनकी सोच को अतिवादियों की ओर मोड़ ही लेता था और ऐसे में सेना के प्रति उनका आक्रोश स्थाई भाव होता जा रहा था। 

वह भी तो नफरत करता था सेना से अपने शहर अपने प्रदेश की शांति का दुश्मन ही समझता था। यदा कदा उनके खिलाफ प्रदर्शन पथराव कर अपना गुस्सा जाहिर करता था। 

उस रात बारिश ने अपना कहर बरपाया और सुबह का सूरज धरती पर नहीं पानी की विशाल चादर पर चमका। घर बस्ती दुकान मकान सब जलमग्न हो गये। मुसीबत में साथ देने का दम भरने वाले स्वार्थ के सोच में डूब गए। अचानक उस विशाल जल राशि पर सैकड़ों कश्तियों में सेना के जवान उनकी मदद को आये और उसकी बूढ़ी माँ पिता बीवी बच्ची को जिस प्यार और सम्मान से सुरक्षित निकाल कर उनके पुनर्वास की व्यवस्था की। उसका आक्रोश आंखों से पिघल कर बह गया। 
मौलिक और अप्रकाशित 

 देश  के  जवान हमारी  सुरक्षा के  लिए  अपना घर -बार  त्याग  कर स्वयं  को  तिरोहित  करते  रहते  है  लेकिन कभी -कभी  उनकी उपस्थिति खासकर  सरहदों  पर तकलीफ  देह  साबित  होती  हुई  आक्रोश बन  कर  जमती  जाती  है लेकिन   वक्त  पड़ने  पर उनका योगदान के  प्रति समस्त आक्रोश श्रद्धा बनकर आँखों  से  बाहर निकलना सराहनीय लेखन  हुआ  है  आपका आदरणीया कविता जी . इस सार्थक  लघुकथा  के  लिए ह्रदय  से  बधाई  प्रेषित  है . स्वागत आपका !  

आभार कांता जी आपके सहयोग से इसे प्रकाशित कर सकी। 

बहुत सजीव चित्र खींचा है आपने ऐसी स्थिति के बारे में, और अंत बहुत बढ़िया है| बहुत बहुत बधाई आपको 

आभार विनय कुमार सिंह जी आपका प्रोत्साहन लेखन को आगे बढ़ाने में प्रेरक का कार्य करेगा 

आदरनीय कविता वर्मा जी आप ने बहुत ही उम्दा व सजीव वर्णन किया है, बधाई आप को .

आभार ओमप्रकाश क्षत्रिय जी इस प्रोत्साहन के लिए 

बहुत अच्छा प्रयास है आ० कविता वर्मा जी, बधाई स्वीकार करेंI जिस प्रकार आपने यह लघुकथा प्रस्तुत की है, उसे सपाटबयानी कहते हैंI अर्थात इसमें जो कुछ कहा गया है वह लेखक ने स्वयं कहा है, जबकि लघुकथा में काफी कुछ पात्रों/परिस्थितिओं के माध्यम से कहा जाना चाहिएI आशा है कि भविष्य में आप इस बात का ध्यान रखेंगीI        

जी योगीराज सर बहुत दिनों बाद लघुकथा लिख रही हूँ  हुआ आपने कथा को समय देकर आकलन किया और गाइड किया आभारी हूँ।  आगे सुधार करने की कोशिश करूंगी 

वाह | बहुत बढ़िया कथा हुई है | बधाई स्वीकारें | 

  सरहद में सेना के प्रति ये आक्रोश देखा जाता है   और सेना वहां रक्षा के लिए दिन रात लगी रहती है ,कथा का विषय अच्छा लिया है आपने ,, हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीया कविता वर्मा जी 

 आ. कविता जी लंबे अंतराल के बाद आपको पढना सुखद रहा. बधाई आपको 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
10 hours ago
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Sunday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Jul 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jul 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service