आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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आदरणीय रतन राठौड़ जी, बातों-बातों में क्या शानदार लघुकथा लिखी है आपने. कथा प्रवाह इतना जबरदस्त है कि पाठक को पता ही नहीं चलता कि कब वह कथा के अंत तक पहुँच गया है. विवाह जैसी श्रेष्ठ सामाजिक संस्था को बिलकुल निराले ढंग से परिभाषित करती इस शानदार लघुकथा पर दिल से बधाई स्वीकारें. सादर
सार्थक सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभारी हूँ आदरणीय मिथलेश वामनकर जी
हार्दिक धन्यवाद आपका
सार्थक सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभारी हूँ आदरणीय कल्पना भट्ट जी
मोहतरम जनाब रतन राठौड़ साहिब , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
सार्थक सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल से शुक्रिया मोहतरम तारिक़ अहमद खान साहिब जी
आदरणीय रतन जी सुन्दर कथा कही है. सादर.
सार्थक सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभारआदरणीय शुभ्रंशु पांडेय जी
चुटीले अंदाज में पति की नोक झोंक बहुत अच्छी लगी
सात बनालो, साथ साथ खाएंगे...आखिर सात फेरे जो लिये है, विवाह बंधन भी तो विरासत का ही अंग है, इसको तो सच्चाई से निभा लें
बहुत शानदार पंक्ति हुई |बहुत बहुत बधाई आपको इस सुंदर लघु कथा के लिए आद० राठौड़ जी
आदरणीय राजेश कुमारी जी आपका हार्दिक आभार सार्थक प्रतिक्रिया व्यक्त करने लिए
पति-पत्नी की हल्की-फुल्की नौकझोंक के साथ आपसी प्रेम का सन्देश देती यह रचना स्वतः ही मन को भा जाती है| इस रचना के सृजन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें आदरणीय रतन राठौड़ जी सर|
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