आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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बहुत ही मार्मिक लघु कथा लिखी है आद० सुधीर द्विवेदी जी |निकम्मी औलाद कितनी भी बुरी हो माँ बाप को फिर भी हमेशा उसका ख़याल रहता है | बहुत बहुत बधाई इस शानदार लघु कथा के लिए
पिता के बलिदान को दर्शाती और उनके प्रति कृतज्ञता का सन्देश देती इस सुंदर रचना के सृजन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें आदरणीय सुधीर जी|
हार्दिक बधाई आदरणीय सुधीर जी।बेहतरीन लघुकथा।
अनुकम्पा नियुक्ति के दंश को उजागर करती शानदार लघुकथा के लिए बधाई आदरणीय सुधीर जी .
बहुत ही शानदार और सुंदर रचना हुई है विषय पर, बहुत बहुत बधाई
व्यंग्यात्मक शैली में आपने बहुत गहरी तीर छोड़ा है बातो ही बातों में जो न हंसने देती है ना ही रोने . सात रोटी में सात जन्मों को भी एक अलग ही उपमा संदर्भित किये है जो आपकी लेखन की मौलिकता को कायम रखती है .बहुत -बहुत बधाई आपको आदरणीय रतन राठौड़ जी .
आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आदरणीय कांता रॉय जी । अब तक मुझे टंकण करना प्रतिक्रिया और ओ बी ओ को समझ न रहा ।
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