For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 173 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |

इस बार का मिसरा जनाब 'महशर' बदायूनी साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है |

"जिस दिये में जान होगी वो दिया रह जाएगा'

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 2122 212

बह्र-ए-रमल मुसम्मन महज़ूफ़

रदीफ़ --रह जाएगा

काफिया :-अलिफ़ का (आ स्वर) क्या,खुला, आशना,आइना, वफ़ा आदि...

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी । मुशायरे की शुरुआत दिनांक 27 नवंबर दिन बुधवार को हो जाएगी और दिनांक 28 नवंबर दिन गुरुवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 27 नवंबर दिन बुधवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

जनाब समर कबीर 

(वरिष्ठ सदस्य)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 114

Reply to This

Replies to This Discussion

नमन मंच

2122 2122 2122 212


जो जहाँ होगा वहीं पर वो खड़ा रह जाएगा
ज़श्न ऐसा होगा सबका मुँह खुला रह जाएगा 1

गर मुनासिब हो तो थोड़ी सी ख़ुशी तू बाँट ले
अस्ल में है ज़ीस्त का ये ही मज़ा रह जाएगा 2

कर ले हिम्मत वक़्त है अपनी जगह पहचान तू
हाशिए पे देख वर्ना तू पड़ा रह जाएगा 3

ये ज़माने भर की दौलत आई है कब किसके काम
वक़्त-ए-आख़िर आएगा तो सब धरा रह जाएगा 4

एक दिन मैं ख़त्म हो जाऊँगी लेकिन तय है ये
प्यार तेरे वास्ते जो है बचा रह जाएगा 5

मुड़ के घर ही जाऊँगा गर बन्द मयख़ाना है ये
और मेरे पास क्या ही रास्ता रह जाएगा 6

डायरी में इश्क़ का अपने तू चर्चा कर "रिया"
वाक़या बनकर वो किस्सा तो लिखा रह जाएगा 7

गिरह--

आँधियों से और अँधेरों से लड़ेंगें ये चिराग़
"जिस दिये में जान होगी वो दिया रह जाएगा'

"मौलिक व अप्रकाशित"

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब
ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें।

दोष होना तो मनुज का जन्म से ही गुण रहा
दोष हटने पर वो केवल देवता रह जाएगा ।२।

*
द्वार पर ताले लगाऊँ जिंदगीभर क्यों भला
मौत तोड़गी इन्हें जो सब खुला रह जाएगा ।४।

दूसरे और चौथे शे'र का
तक़ाबुल-ए-रदीफ़ैन दोष
हटाने का प्रयास करें।

    // शुभकामनाएँ //

आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार।

गजल गलत थ्रेड में पोस्ट हो गयी थी अतः यहा से हटाकर संशोधन के साथ पुनः पोस्ट की है।  सुधार पर मार्गदर्शन करें। सादर..

आदरणीय Richa Yadav जी आदाब 

ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें 

2122 2122 2122 212

गर मुनासिब हो तो थोड़ी सी ख़ुशी तू बाँट ले

अस्ल में है ज़ीस्त का ये ही मज़ा रह जाएगा 2

सानी और बिहतर सोचें 

कर ले हिम्मत वक़्त है अपनी जगह पहचान तू

हाशिए पे देख वर्ना तू पड़ा रह जाएगा 3

कर मशक़्क़त और ज़माने में बना पहचान तू

ये ज़माने भर की दौलत आई है कब किसके काम

वक़्त-ए-आख़िर आएगा तो सब धरा रह जाएगा 4

ये ज़माने  भर  की  दौलत  काम   किसके   आई   है 

वक़्त-ए-आख़िर तो यहीं सब कुछ धरा रह जाएगा 4

एक दिन मैं ख़त्म हो जाऊँगी लेकिन तय है ये

प्यार तेरे वास्ते जो है बचा रह जाएगा 5

धड़कनें रुक जाएँगी इक रोज़ लेकिन तय है ये

प्यार  तेरे  वास्ते  दिल में  बचा   रह  जाएगा 5

मुड़ के घर ही जाऊँगा गर बन्द मयख़ाना है ये

और मेरे पास क्या ही रास्ता रह जाएगा 6

उला और बिहतर सोचें इसमें शे'र वाली बात नहीं आई।

तूने आँखों से नहीं पिलाई तो मयख़ाने जाने के इलावा

और रास्ता क्या बचेगा...ऐसा कुछ भाव

डायरी में इश्क़ का अपने तू चर्चा कर "रिया"

वाक़या बनकर वो क़िस्सा तो लिखा रह जाएगा 7

गिरह--

आँधियों से और अँधेरों से लड़ेंगें रात भर 

"जिस दिये में जान होगी वो दिया रह जाएगा'

            // शुभकामनाएँ //

मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, कुछ सुझाव प्रस्तुत हैं - 

जो जहाँ होगा वहीं पर बस खड़ा रह जाएगा

जश्न ऐसा होगा सबका मुँह खुला रह जाएगा 1

गर मुनासिब हो तो थोड़ी सी ख़ुशी भी बाँट ले

मैं अगर वापस गया तो सोचता रह जाएगा 2   .... शेष अमित जी कह ही चुके हैं।

2122 2122 2122 212


हंस उड़ने पर भला तन बोल क्या रह जाएगा
आदमी के बाद उस का बस कहा रह जाएगा।१।
*
दोष होना तो मनुज में जन्म से ही एक गुण
दोष हटने पर वो  केवल  देवता  रह जाएगा।२।
*
रौशनी जितनी भी मुझमें है तुझी से ये सनम
तू गया तो जिन्दगी  में  तम घना रह जायेगा।३।
*
द्वार पर ताले लगाता जिंदगीभर व्यर्थ क्यों
मौत तोड़गी इन्हें जो सब खुला रह जाएगा।४।
*
दीप से ही दीप चिढ़ता जो रहेगा इस तरह
घुप अँधेरों से ही सबका वास्ता रह जाएगा।५।
*
डायरी में लिख रहा क्यो दोष अपने गुण मेरे
प्रेम का किस्सा जरूरी अनकहा रह जाएगा।६।
*
काफिलों के साथ जब तू दूर जाएगा निकल
तब 'मुसाफिर' सिर्फ सूना रास्ता रह जाएगा।७।
****
गिरह--
हक नहीं कमजोर का क्या जो कहा मशहर ने ये
"जिस दिये में  जान  होगी  वो दिया रह जाएगा'
***
मौलिक/अप्रकाशित

जा रहे हो छोड़ कर जो मेरा क्या रह जाएगा 

बिन तुम्हारे ये मेरा घर मक़बरा रह जाएगा   

    

ज़िंदगी भर ये हमारे दोनों जिस्म इक जान थे

अब हमारे दर्मियाँ भी इक ख़ला रह जाएगा 

सत्ह पर भी कुछ ख़राशें रू-नुमा हो जाएँगी 

चोट खाता गर मुसल्सल आइना रह जाएगा

गर सुख़न-वर भी मलामत और ला'नत में पड़े

'आलिमों और जाहिलों में फर्क़ क्या रह जाएगा 

एक हो जाएगी इक दिन प्यारे भारत की 'अवाम

बँटने और कटने का शोशा बस धरा रह जाएगा 

झिड़कियाँ खाकर भी अपने तल्ख़-गो पीरान से 

इन मुरीदों की ज़बाँ पर शुक्रिया रह जाएगा 

जब क़सीदा-गोई राइज हो अदीबों में 'अमीर'

अदबिय्यत का भला क्या मर्तबा रह जाएगा 

गिरह-

  अब हवाओं के निशाने पर रहेंगे सब दिये 

"जिस दिये में जान होगी वो दिया रह जाएगा'' 

"मौलिक व अप्रकाशित"

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, कुछ सुझाव प्रस्तुत हैं…"
6 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जा रहे हो छोड़ कर जो मेरा क्या रह जाएगा  बिन तुम्हारे ये मेरा घर मक़बरा रह जाएगा …"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार। गजल गलत थ्रेड में पोस्ट…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"2122 2122 2122 212 हंस उड़ने पर भला तन बोल क्या रह जाएगाआदमी के बाद उस का बस कहा रह जाएगा।१।*दोष…"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। दोष होना तो…"
6 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  2122 2122 2122…"
8 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"नमन मंच 2122 2122 2122 212 जो जहाँ होगा वहीं पर वो खड़ा रह जाएगा ज़श्न ऐसा होगा सबका मुँह खुला रह…"
9 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
13 hours ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service