For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-25 (रजत जयंती)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर गई हैI पिछले 24 अंकों में हमारे साथी रचनाकारों ने जिस उत्साह से इसमें हिस्सा लिया और इसे सफल बनाया, वह सच में हर्ष का विषय हैI कठिन विषयों पर भी हमारे लघुकथाकारों ने अपनी उच्च-स्तरीय रचनाएँ प्रस्तुत कींI विद्वान् साथिओं ने रचनाओं के साथ साथ रचनाओं पर सार्थक चर्चा भी की जिससे रचनाकारों का भरपूर मार्गदर्शन हुआI "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के रजत जयंती को यादगारी बनाने के लिए इस बार आयोजन से विषय का बंधन हटा दिया गया है ताकि हमारे लघुकथाकार खुलकर अपनी प्रस्तुतियाँ दे सकेंI
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-25 (रजत जयंती)
अवधि : 29-04-2017 से 30-04-2017
विषय मुक्त (अपने मनपसंद विषय पर लिखें)
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी दो हिंदी लघुकथाएँ एक साथ पोस्ट कर सकते हैं
1(अ). दोनों रचनाएँ एक साथ पोस्ट करें
1(ब). आयोजन में शामिल सभी रचनाकारों को एक आकर्षक प्रमाण-पत्र भेंट किया जाएगा।  
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि भी लिखे/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 17765

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

जनाब सुनील वर्मा जी आदाब,सबसे पहले तो शीर्षक की बात,आपने शीर्षक उर्दू से लिया है,और उर्दू में सही शब्द है "दख़्ल"।
लघुकथा अच्छी लगी,इसके लिये बधाई स्वीकार करें ।
आपकी लघुकथा की शुरुआत//दूर से आती अज़ान की आवाज़ सुनकर उसने सिर के नीचे से तकिया निकालकर अपने कानों पर रख लिया//जब कोई आवाज़ दूर से आती है तो गहरी नींद में सोने वाले पर इतना असर नहीं डालती कि इसे कानों पर तकिया रखने की ज़रूरत महसूस हो,फिर उसके बाद ट्रेन के इंजन के शोर का ज़िक्र सिर्फ भर्ती का लगा,आप इस लघुकथा के ज़रिये जो सन्देश देना चाहते हैं वो स्पष्ट है,मेरा मश्विरा है कि किसी भी लेखक को ऐसे बिंदु नहीं उठाने चाहिये जो किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाएं ।

आदरणीय सुनील भाई

जीवन में सब कुछ हमारी मर्जी से हो यह संभव नहीं । कुछ टंकण की त्रुटियाँ हो गई पर कथा बहुत सुंदर है। ह्रदय से बधाई इस प्रस्तुति के लिए।

बहुत बढ़िया कथा हुई है आदरणीय सुनील भैया | दूसरों के लिए तो बहुत सारी शिकायते होती है पर इन्सान यह भूल जाता है कि उसकी वजह से भी कोई परेशां हो रहा होगा | इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई |

किसी पर अंगुली उठाने से पहले अपने गिरेबान में झाँक कर देखे | लाजवाब और सटीक लघु लघुकथा के लिए बहुत बहुत बधाई श्री सुनील वर्मा जी |

बहुत खूब . पर उपदेश कुशल बहुतेरे की तर्ज पर  और आजकल की घटनाओं से तंज चुराती  सुन्दर कथा ...हार्दिक बधाई आदरणीय सुनील जी  

जनाब सुनील साहिब,लघु कथा तो आपने अच्छी लिखी मगर आपने एक न्यूट्रल साहित्य कार का फर्ज नहीं निभाया ,शायद आपके घर के पास कोई मंदिर नहीं है जहां अज़ान के बाद लाउड इस्पीकर पर भजन लगा दिए जाते हैं ---लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें

आ० तस्दीक अहमद खान साहिब, मेरे ख्याल से हमे ऐसे मुद्दों पर संयमता से काम लेना चाहिएI मैं भाई सुनील वर्मा को ज़ाती तौर पर जानता हूँ, मुझे पूरा यकीन है कि अज़ान वाली बात उन्होंने मेलाफाईड इंटेंशन से नहीं कही होगीI

जनाब तस्दीक साहब, सुनील जी की लघुकथा एक बार और पढ़ें ....

//"और जब सामने वाला कोई अपना ही हो और उससे कहना आसान न हो तो..!" पत्नी ने अपनी भवें ऊँची करते हुए पूछा//

इस पक्ति में बहुत बड़ी बात कही गयी है, बस गंभीर अर्थ को गंभीरता से समझने की जरुरत है.

आदरणीय सुनील भाई, लघुकथा की शुरूआत हाल ही में विवादों में रही एक समसामयिक घटना जैसी लगी परन्‍तु जिस प्रकार उसे आपने मोड़ा है वह श्‍लाघनीय है जिस हेतु आप बधाई के पात्र हो। /दूर से आती अज़ान की आवाज........./ प्रिय भाई यदि अज़ान के बजाय 'धार्मिक स्‍थान से आती आवाज़ों' या कुछ ऐसा संकेतात्‍मक लिखा जाता तो उचित रहता क्‍योंकि इससे आपकी लघुकथा एक सीमित दायरे में कैद होकर रह गई । प्रिय भाई मैं पंजाब में रहता हूं मेरे घर के पास ही मंदिर और गुरूद्वारा दोनों हैं और सुबह सुबह दोनों जगहों से एक दूसरे से तेज़ आवाज़ सुनाने की होड़ सी लगी होती है । खैर ! लघुकथाकार को ऐसे किसी शब्‍द से गुरेज करना चाहिए जिससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचने की संभावना हो । आशा है कि आप मेरा आशय समझ रहे होंगे । प्रस्‍तुत लघुकथा का शीर्षक भी स्‍टीक चयन है । सादर शुभकामनाएं ।

प्रिय भाई, आज फिर आप पर गर्व महसूस हो रहा है। समसामयिक विषय पर लिखना आसान काम नहीं होता क्योंकि मीडिया पर मुद्दे को इतना बिलोया जा चुका होता है कि मात्र छाछ बचती है। ऐसे में मक्खन निकाल ले आना कोई आपसे सीखे। // और जब सामने वाला कोई अपना ही हो और उससे कहना आसान न हो तो// धार्मिक सद्भाव का कितना बड़ा उदाहरण है। साहित्य = स +हित =सुनील वर्मा।
इससे ज्यादा कुछ कहने को बचा ?

प्रदीप जी, आपने सही कहा ,समसामयिक विषयों को साहित्य में छूना भी कभी- कभी गुनाह करने जैसा लगता है। फिर छाछ में से मक्खन निकलने का गुर  भी तो आना चाहिए। 

सम सामयिक विषय पर बेहतरीन कलम चली है, एक कसी हुई बेहतरीन लघुकथा स्वरुप ली है, बधाई आदरणीय सुनील जी. 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । सुझाव के लिए हार्दिक आभार लेकिन…"
20 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"अच्छे दोहें हुए, आ. सुशील सरना साहब ! लेकिन तीसरे दोहे के द्वितीय चरण को, "सागर सूना…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion कामरूप छंद // --सौरभ in the group भारतीय छंद विधान
"सीखे गजल हम, गीत गाए, ओबिओ के साथ। जो भी कमाया, नाम माथे, ओबिओ का हाथ। जो भी सृजन में, भाव आए, ओबिओ…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion वीर छंद या आल्हा छंद in the group भारतीय छंद विधान
"आयोजन कब खुलने वाला, सोच सोच जो रहें अधीर। ढूंढ रहे हम ओबीओ के, कब आयेंगे सारे वीर। अपने तो छंदों…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion उल्लाला छन्द // --सौरभ in the group भारतीय छंद विधान
"तेरह तेरह भार से, बनता जो मकरंद है उसको ही कहते सखा, ये उल्लाला छंद है।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion शक्ति छन्द के मूलभूत सिद्धांत // --सौरभ in the group भारतीय छंद विधान
"शक्ति छंद विधान से गुजरते हुए- चलो हम बना दें नई रागिनी। सजा दें सुरों से हठी कामिनी।। सुनाएं नई…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Er. Ambarish Srivastava's discussion तोमर छंद in the group भारतीय छंद विधान
"गुरुतोमर छंद के विधान को पढ़ते हुए- रच प्रेम की नव तालिका। बन कृष्ण की गोपालिका।। चल ब्रज सखा के…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion हरिगीतिका छन्द के मूलभूत सिद्धांत // --सौरभ in the group भारतीय छंद विधान
"हरिगीतिका छंद विधान के अनुसार श्रीगीतिका x 4 और हरिगीतिका x 4 के अनुसार एक प्रयास कब से खड़े, हम…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion गीतिका छंद in the group भारतीय छंद विधान
"राम बोलो श्याम बोलो छंद होगा गीतिका। शैव बोलो शक्ति बोलो छंद ऐसी रीति का।। लोग बोलें आप बोलें छंद…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion कुण्डलिया छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"दोहे के दो पद लिए, रोला के पद चार। कुंडलिया का छंद तब, पाता है आकार। पाता है आकार, छंद शब्दों में…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion चौपाई : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"सोलह सोलह भार जमाते ।चौपाई का छंद बनाते।। त्रिकल त्रिकल का जोड़ मिलाते। दो कल चौकाल साथ बिठाते।। दो…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service