आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक बधाई आदरणीय महेंद्र कुमार जी।बेहतरीन लघुकथा।गज़ब की कल्पना की है।
हार्दिक आभार आदरणीय तेज वीर सिंह जी. बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर.
एक अलग ही अंदाज में लघुकथा सृजित है है | जिन्होंने अपराध किये वे न्याय का पुल पार कर भाग रहे थे और पाँल का अंत में न्याय के प्रति विश्वास टूट रहा था जिसे चीख कर कहना पड़ा "ये दुनिया ईश्वर ने नहीं बल्कि शैतान ने बनायी है।’’ अति सुंदर लघु कथा |
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जी. हार्दिक आभार. सादर.
स्नेहिल महेन्द्र भाई ! फँतासी शैली में आपकी पकड़ सदैव प्रभावित करती है । पिछले दिनों 'मैं कुछ नहीं जानता' सुकरात वाली कथा भी बहुत प्रभावशाली थी परन्तु समयाभाव के कारण उस पर टिप्पणी नहीं कर पाया था । प्रस्तुत लघुकथा दिए गए विषय को पूर्णरूपेण परितुष्ट करती है । इस लघुकथा का वैशिष्ट्य है इसका दृश्य निर्माण । पढ़ते वक्त सम्पूर्ण दृश्य आंखों के सामने ऐसे घूम रहा है जैसे मैं इसका चश्मदीद हूं । लघुकथा का शीर्षक चयन भी एकदम सटीक । यदि इस लघुकथा को अंक देने का अधिकार हो तो मैं इसे दस में से ग्यारह अंक दूंगा- एक अंक अापकी कल्पनाशीलता, शिल्प व शीर्षक चयन हेतु एक्स्ट्रा से । खुश रहें ! भविष्य के लिए शुभकामनाएं ।
बिल्कुल सही कहा है आपने आदरणीय सर श्री रवि प्रभाकर जी। ऐसी टिप्पणियां हमें बहुत कुछ सीखने में मदद करतीं हैं, प्रोत्साहित करतीं हैं।
आदरणीय रवि सर, यह जानकार बेहद ख़ुशी हुई कि सुकरात वाली कथा (विद्वता के पैमाने) आपकी नज़रों से भी गुज़री है. मेरे लिए यही बहुत सम्मान की बात है. इस लघुकथा पर की गयी आपकी स्नेहिल टिप्पणी ने मुझे विशेष संबल प्रदान किया है पर साथ ही मेरी जिम्मेदारी भी बढ़ा दी है. मैं पूरी कोशिश करूँगा कि भविष्य में भी ऐसा कुछ रच सकूँ जिससे आप लोगों का विश्वास कायम रहे. आपके प्रेम और शुभाशीष का बहुत-बहुत धन्यवाद. हार्दिक आभार. सादर.
अद्भुत परिकल्पना और यथार्थ के साथ उम्दा प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब महेंद्र कुमार जी।
हृदय से आभारी हूँ आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर.
आपकी कल्पना शीलता देखकर बहुत ख़ुशी होती है| हार्दिक बधाई इस बेहतरीन कथा के लिए |
बस आप सबका स्नेह है आदरणीया कल्पना मैम. बहुत-बहुत धन्यवाद. हार्दिक आभार. सादर.
आपकी पहले वाली कथाओं में भी सजीव चित्रण हुआ था। आपका प्रस्तुति करण बहुत प्रभावशाली होता है। सादर।
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