आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर अभिवादन ।
पिछले 45 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-46
विषय - "संकल्प"
आयोजन की अवधि- 8 अगस्त 2014, दिन शुक्रवार से 9 अगस्त 2014, शनिवार की समाप्ति तक (यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए.आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.
उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)
अति आवश्यक सूचना :-
आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है.
इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 8 अगस्त 2014, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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मंच संचालिका
डॉo प्राची सिंह
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.
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रुकते नहीँ विचार सतत्,
सरिता से निरझरते हैँ ।
पाने को विश्राम बात,
अन्तर्मन से करते हैँ ॥
संयम का संसार रूप का बोध कराता है ।
जब कोई वन उपवन नन्दन वन बन जाता है ॥६॥................वाह ! सुन्दर भाव और प्रवाह लिए प्रस्तुत सुन्दर गीत पर बधाई स्वीकारें आदरणीय पं. प्रेम नारायण जी . यह अवश्य है की संकल्प के भावों को और अधिक मुखर होना चाहिए था. सादर.
लाजवाब और अनुपम भाव गीत रचना ! वाह ! पढता ही रहा ! बहुत बहुत बधाई आद श्री प्ल्रेम नाराय दीक्षित जी
प्रदत्त विषय पर इस सुन्दर भाव गीत के प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई प्रेम नारायण जी
आदरणीय प्रेम नारायण दीक्षित जी
बहुत खूबसूरत गीत प्रस्तुत हुआ है.. काफी देर तक भावों की शुचिता में ठहरी रही... किन्तु मुझे भी यह अभिव्यक्ति 'संकल्प' से कुछ अलग लगी.
वैसे, ये अवश्य ही मानती हूँ कि निर्माण सिर्फ भाव-संकल्प की नींव पर ही होता है... आपकी अभिव्यक्ति उस निर्माण की बात तो करती है लेकिन संकल्प भाव फिर भी अछूता ही रहता लगा...
इस प्रस्तुति पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये
आदरणीय प्रेम नारायण भाई , गहन भावों को लिये आपकी गीत रचना के लिये आपको हार्दिक बधाई ।
कुछ दोहे (संकल्प )
जीना भी संकल्प है, निर्धन होकर आज |
झपट रहे जन दुष्ट बन, जब काया पर बाज ||
उन्नति पथ इस देश का, चाहे जन सहयोग |
जाति-पांति के भेद बिन, मानवता का योग ||
चलता है से किस तरह, बदलेगा यह कल्प |
हर निर्णय अब ठोस हो, लेना है संकल्प ||
नीर नार पर दृष्टि में, लाना है बदलाव |
दोनों संकट में घिरे, कहते मन के भाव ||
देश शक्ति संकल्प से, पाए जग में मान |
चले तिरंगा थाम कर, भारत की सन्तान ||
मौलिक/अप्रकाशित |
उन्नति पथ इस देश का, चाहे जन सहयोग |
जाति-पांति के भेद बिन, मानवता का योग ||.......इससे बड़ा संकल्प और क्या होगा ..किसी मंदिर या मस्जिद बनाने के संकल्प से कहीं बेहतर संकल्प
चलता है से किस तरह, बदलेगा यह कल्प |
हर निर्णय अब ठोस हो, लेना है संकल्प ||.................बिलकुल सटीक
बहुत सुन्दर प्रस्तुति अशोक जी
आदरणीया सीमा जी सादर आपकी प्रतिक्रया से सम्बल मिला. सादर आभार.
हर निर्णय अब ठोस हो, लेना है संकल्प ||
सुन्दर सटीक प्रस्तुति/ संकल्प अशोक जी ...
आदरणीय अविनाश बागडे साहब सादर, आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया से रचना कर्म सार्थक हुआ. सादर आभार.
चलता है से किस तरह, बदलेगा यह कल्प |
हर निर्णय अब ठोस हो, लेना है संकल्प ||-----बहुत सही कहा
प्रदत्त विषय को परिभाषित करते दोहे बहुत अर्थपूर्ण
हार्दिक बधाई आपको अशोक रक्ताले जी |
आदरणीया राजेशकुमारी जी सादर, दोहा छंदों को दिए विषय के अनुकूल पाने से रचना कर्म को मान मिला. सादर आभार.
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