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एक चिंगारी छोड़ने की जरुरत है और बात पुरे शहर में आग की तरह फैलते देर नहीं लगती | तीन शराबियों ने ही सर्व दर्म सद्भाव की बुनियाद हिला दी अगर प्रभाशाली नेता हो तो क्या हो | सुंदर लघु कथा के लिए बधाई श्री जवाहर लाल सिंह जी
आदरणीय लडीवाला साहब, सादर अभिवादन! दरअसल यह सच्ची घटना पर आधारित रचना है और प्रभावशाली नेताओं ने ही इस मामले को संभाला नहीं तो यह भयंकर रूप ले सकता था. इसलिए मैं इसके लिए छुटभैये नेताओं और कान के कच्चे लोगों को जिम्मेदार मानता हूँ ..आपकी विश्लेषण युक्त प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार!
बहुत अच्छा प्रयास है आदरणीय जवाहर लाल जी। दाद कुबूलें
सराहना और प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार जी!
आदरणीय जवाहर जी सही लिखा है आपने बातों बातों में मसाले बनते है और वो दंगों में बदल जाते है. बधाई इस बढ़िया प्रस्तुति पर
सराहना और प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अक्सर ऐसे ही दंगे भड़कते हैं जहाँ तक मेरी समझ है.
नशे में कुछ भी कर सकते हैं लोग और फिर चिंगारी शोला बन जाती है , बढ़िया रचना आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी , बधाई ..
अनुमोदन एवं प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय विजय कुमार सिंह जी
आदरणीय जवाहर भाई
तिल का ताड़ । बात कहाँ से कहाँ पहुँच गई । शराब ने मिलाया और शराब ने ही 'सर्व-धर्म-समभाव की बुनियाद' को हिला दिया।
अच्छी कथा हार्दिक बधाई
प्रोत्साहन एवं अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी
बोन्साई आम को प्रतीक बना जिस तरह चरित्र की रचना की है वो बहुत ही सुंदर है आदरणीय बबिता जी| बधाई स्वीकार करें|
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