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खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
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दिल से आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी .

आप दोनों को मेरी ओर से अनन्त शुभकामनाएं

आदरणीय गणेश वागी जी को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं ,आप यूँ ही सदा मुस्कराते रहें, नित्यशः ज्ञान गंगा बहाते रहें

आदरणीय डॉ छोटे लाल जी, आपकी शुभकामना हेतु बहुत बहुत आभार।

आदरणीय गणेश वागी जी को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं .

बहुत बहुत आभार आदरणीया नीलम दीदी .

खुशी का है अवसर ,जनम दिन मुबारक।

कहे हर सुख़नवर , जनम दिन मुबारक।

जनम दिन बहुत बहुत मुबारक हो ।

जनाब योगराज प्रभाकर साहिब (प्रधान सम्पादक ओबीओ)आदाब,

निवेदन है कि 17 मई 2018 से रमज़ान का पवित्र महीना शुरू होने वाला है,इसलिये हर साल की तरह इस बार भी मुझे एक महीने का अवकाश चाहिये, इस बीच तरही मुशायरे के समय मैं दो दिन के लिए पटल पर हाज़िर हो जाऊँगा, उम्मीद है मुझे अवकाश की स्वीकृति प्रदान कर के शुक्रिये का मौक़ा अता फरमाएंगे ।

            प्रार्थी

       समर कबीर

मोहतरम आली जनाब समर कबीर साहिब, आदाब. मँच आपके धार्मिक फ़राईज़ से बखूबी वाकिफ़ है. और यह बात भी सभी को मालूम है कि आप इस मौक़े पर बाकायदा इत्तेला देकर जाते है, यह अन्य सदस्यों के लिए एक उदाहरण है. हालाकि आपकी इस आरज़ी अदम मौजूदगी से यहाँ रौनक आधी रह जाएगी, लेकिन आपकी दरख्वास्त स्वीकार करने के इलावा और कोई चारा भी तो नहीं है. बहरहाल आप अपना फर्ज़ अदा करके ख़ुशी-ख़ुशी वापिस आएँ, सादर.

बहुत बहुत शुक्रिया मुहतरम ।

तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब।

मित्रो, बरेली से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका अनुगुंजन में मेरे सृजन '' सांस भर की ज़िंदगी '' को स्थान दिया गया है। इस हेतु पत्रिका संपादक आदरणीय डॉ. लवलेश दत्त्त जी का हार्दिक आभार। आप सब के साथ मैं ये रचना साझा कर रहा हूँ। धन्यवाद।

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