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मुहतरम जनाब तेजवीर साहिब ,आप तो गद्य से पद्य में आ गए कामयाब प्रयास किया है आपने । भाव बहुत ज़बरदस्त हैं ,बस तुकांता सही नही हो पाई । मुझे उम्मीद है आगे प्रयास जारी रहेगा ,इस प्रस्तुति पर मुबारक बाद क़ुबूल फरमाएं।
हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।
आ. भाई तेजवीर जी, प्रदत्त विषय पर बेहतरीन रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।
हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी।
प्रदत्त विषय पर बहुत ही भावपूर्ण रचना प्रस्तुत की है आ० तेजवीर सिंह जी. मेरी तरफ से ढेरों ढेर बधाई प्रस्तुत है.
हार्दिक आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी।बड़ी राहत मिली आपकी टिप्पणी पढ़ कर।सादर।
प्रदत्त विषय को गहन संवेदनशीलता के साथ शब्दों में पिरोया है आपने। हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह जी
हार्दिक आभार आदरणीय प्रतिभा जी।
अतुकान्त कविता :
कितने खेत, कितने खलिहान?
कितने किसान, कितने ठहरे इंसान?
कितने, किस-किस के घर?
कितनी, किस-किस की दुकानें?
खेत में खिलना, खलिहानों में रहना
फसल या
फसल माफ़िक डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक
विदेशी खलिहानों में डटते, बिकते
या देसी खलिहानों में सड़ते?
और वह कालाधन
देसी खेतों में फलता
विदेशी खलिहानों में रहता, बिकता
या छिपता
बैंकों में मुद्रा रूपांतरण
हेर-फेर करते खलिहान
नेताओं, सरकारों के संरक्षण में
भूखे पेटों पर लातें मारता!
विकास के खलिहान में
किसान गौढ़, दुकानों की दौड़
औद्योगिक होड़
देसी खेत निगलते उद्योगपति
पनपते विदेशी खलिहानों में!
एक दल के खेत में फलते नेता
दूजे के खलिहान में बिकते
घर मिटाकर दुकान चलाते!
रेत के खेत
भावनाओं रहित
भटकते परिवार
आधुनिकता के खलिहानों में
बिकते हुए, लुटते हुए
घर को दुकान बनाते!
सभ्यता, संस्कृति के खेत में
पनपती विकासशील पीढ़ी
कटकर विदेशी खलिहानों में
धर्म को दुकान बनाती
मैली चादर ओढ़े
अपनों को ही फोड़े!
इंटरनेट, सोशल मीडिया के खेत में
फलती-फूलती मानसिकता
घर-परिवार, समाज, राष्ट्र
के खलिहानों में
संक्रामक विदूषक, प्रदूषक!
कितने खेत, कितने खलिहान?
कितने किसान, कितने इंसान?
कितने, किस-किस के घर?
कितनी, किस-किस की दुकानें?
सोचता मज़दूर भारतीय किसान
अपनों से करता मौन आह्वान!
(मौलिक व अप्रकाशित)
अरे वाह। आप तो यहीं हैं इस खेत में! त्वरित प्रतिक्रिया अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब सतविंद्र कुमार राणा साहिब।
हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।बेहतरीन प्रस्तुति।
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