आदरणीय साथिओ,
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आदरणीय विजयशंकर सर, आपकी लघु कथा में जो दृश्य दर्शाया गया है, वह अधिकांश कार्यालयों में रोज़ का दृश्य है। बहुत ही दुखद है ये किन्तु अधिकारों का दुरूपयोग कब तक बंद होगा? पता नहीं।
आपको इस कथा की रचना पर बधाई सर।
आदरणीय सुश्री उषा साहनी जी , रचना को सम्मान देने के लिए हार्दिक आभार एवं धन्यवाद , सादर।
वाह, बहुत बढ़िया और सटीक रचना विषय पर, कुछ लोगों ने रचना के विस्तार के बारे में लिखा है जिससे मैं भी इत्तेफ़ाक़ रखता हूँ. बहरहाल बहुत बहुत बधाई इस बढ़िया रचना के लिए आ डॉ विजय शंकर जी
आदरणीय विनय कुमार जी , रचना आपको पसंद आई, बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद .सादर.
एक क्षण का बारीकी से विश्लेषण करती बढ़िया लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई . शुरू में लगा था कि लघुकथा अनावश्य; लम्बी लग रही है. मगर पढने के बाद यह भ्रम दूर हो गया.
आदरणीय ओम प्रकाश क्षत्रिय जी , रचना आपको पसंद आई, बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद ।सादर,
आदरणीय जी, बहुत सुंदर लघुकथा के लिए बधाई हो
आदरणीय मोहन बेगोवाल जी , रचना आपको पसंद आई, बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद। सादर ।
विषय अंतर्गत विषय अंतर्गत बहुत ही उत्तम लघुकथा हुई है आदरणीय विजय जी
आदरणीय अजय गुप्ता जी , रचना आपको पसंद आई, बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद। सादर ।
हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ विजय शंकर जी। सरकारी विभागों के कामकाज पर बेहतरीन कटाक्ष।यह एक कटु सत्य है कि अधिकतर सरकारी विभाग बिना रिश्वत के आम आदमी की बात तक नहीं सुनते।इन के लिये भ्रष्टाचार अब जीवन शैली बन चुका है।लाजवाब प्रस्तुति।
अर्थ पूर्ण, भावपूर्ण बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा, आदरणीय विजय सरजी।
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