आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर अभिवादन ।
पिछले 65 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-66
विषय - "रास्ता/मार्ग"
आयोजन की अवधि- 09 अप्रैल 2016, दिन शनिवार से 10 अप्रैल 2016, दिन रविवार की समाप्ति तक
(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.
उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)
अति आवश्यक सूचना :-
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.
आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है.
इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 09 अप्रैल 2016, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.
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बन गई हो जिसको ठोकर रास्ता
उसका रोके कौन सा डर रास्ता।1।......वाह
सिर्फ देते हैं दगा बस पाँव ही
रोकता कब यार पत्थर रास्ता.....कितना सही कहा है आपने
प्रदत्त विषय पर सुन्दर ग़ज़ल ,हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय लक्ष्मण धामी जी
आ0 प्रतिभा बहन,रचना की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
करके साहस जो उतारे नाव को
यार उसको दे समन्दर रास्ता।
सिर्फ देते हैं दगा बस पाँव ही
रोकता कब यार पत्थर रास्ता।----बेहतरीन धामी भाई .
आ0 भाई गोपालनारायन जी उत्साहवर्धन के लिए आभार ।
आ0 भाई शेख शहजाद जी इस स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आदरणीय लक्ष्मण भाईजी
सिर्फ देते हैं दगा बस पाँव ही
रोकता कब यार पत्थर रास्ता।4।,,,,,,,सत्यहै
बस गए सब शहर में आ गाँव से
ताकता सूना पड़ा घर रास्ता।6।........गाँव की पीड़ा को सुंदर शब्द दिए
युद्ध से होती समस्या हल नहीं
बात से निकला करे हर रास्ता।7। ............ सब यही चाहते है
सुंदर प्रस्तुति , हार्दिक बधाई
आ0 भाई अखिलेश जी, आपकी प्रतिक्रिया से लेखन सफल हुआ । हार्दिक धन्यवाद ।
आ0 भाई विजय षंकर जी उत्साहवर्धन के लिए आभार ।
जनाब लछमन धामी साहिब ,प्रदत्त विषय को सार्थक करती सुन्दर ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
बन गई हो जिसकी ठोकर रास्ता। ..... मेरे हिसाब से जिसको की जगह जिसकी करना ठीक रहेगा। ........
आ0 भाई तस्दीक अहमद जी इस स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
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