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समर्पण
विशालकाय पहाड़ों के समक्ष एक चींटी के समान वह बस पहाड़ी दुर्गम रास्तों पर हिचकोले लेकर धीरे धीरे बढने के बावजूद भी एक मोड़ पर अचानक से दूसरा वाहन आने पर रोज़ की भांति अपनी विजयगाथा नहीं लिख पायी और खायी की तरफ लटक गयी| सभी यात्री स्वयं को और अपने परिवार वालों को बचाते हुए बाहर आने के लिये भागे, शुरू के कुछ लोग बाहर निकलने में सफल भी हो गए| इन सबके बीच एक औरत झूमती हुई, अपना सामान बस से निकालने की कोशिश मे लगी थी।उसकी इस हरकत पर उसके पीछे खड़ा व्यक्ति गुस्से में बोला:
"क्या कर रही हैं.... यहाँ जान पर पड़ी है और आप सामान निकालने पे तुली है।"
पीछे से एक और बोला, "शायद ये नशे में भी है।"
वो औरत मुड़ी और बोली:
"भाईसाहब! इस बैग के ऊपर मेरा पता लिखा है, इसमें कुछ रुपये भी हैं जिनसे मेरा बेटा कई दिन खाना खा सकता है। मेरा सिर टकरा गया था...."
कहते हुए वो औरत वहीँ गिर पड़ी।
मौलिक एवं अप्रकाशित
लोगों के लिए हम स्वयं ही एकतरफा आकलन कर बैठते हैं जो बिलकुल भी सही नहीं होता है। माँ की ममता कहाँ तक जा सकती है ये तो इंसान क्या देवताओं के लिए भी पार पाना मुश्क़िल रहा है। बहुत खूब लघुकथा में प्रयास हुआ है नेहा जी। शब्दों के उपयोग को लेकर आपको भी मेरी तरह ही सचेत होने की जरुरत है। देखिये ना यहां आपने // एक औरत झूमती हुई,// का गलत उपयोग हो गया। अगर यहां // एक औरत जद्दोजहद में लगी हुई,// होता तो शायद सही होता।
आपकी कथा का पंच सच में हिला गया है ,// "भाईसाहब! इस बैग के ऊपर मेरा पता लिखा है, इसमें कुछ रुपये भी हैं जिनसे मेरा बेटा कई दिन खाना खा सकता है। //…।वाह !!! इस शानदार लघुकथा के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीया नेहा जी।
आधुनिकता की दौड़ में हम कहीं धीरे धीरे मानवता को भूलते जा रहे हैं और सामूहिक किसी मुसीबत के समय तो ये एकदम ही खो जाती है , हम सिर्फ अपनी सोचते हैं i बहुत अच्छी लघु कथा हुई है आपकी ,बधाई आपको आदरणीया
प्रदत्त विषय को बखूबी इस लघुकथा के माध्यम से परिभाषित किया है आ० नेहा अगरवाल जी I रचना एकदम सधी हुई और कसावट से भरपूर है जिस हेतु मेरी हार्दिक बधाई प्रेषित है I
बहुत बढ़िया लघु कथा ..माँ किसी भी परिस्थति में सिर्फ अपने बच्चों की ही चिता करती है यहाँ झूमती हुई की जगह लडखडाती हुई बदहवास सी भी ठीक रहेगा | आपको बहुत बहुत बधाई नेहा जी |
आदरणीया नेहा जी प्रदत्त विषय के अनुरूप बहुत सधे ढंग से लघुकथा में कथ्य का मर्म शाब्दिक हुआ है इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आपको
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