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आदरणीय सीमा जी आप की लघुकथा में ' मैं ' बहुत ही बेहतर ढंग से उभर कर सामने आया है. बधाई इस के लिए.
अच्छा प्रयास है आ० सीमा जी किन्तु और बेहतर हो सकता था. प्रयासरत रहें, और प्रतिभागिता हेतु हार्दिक अभिनन्दन स्वीकारें.
परिवार द्वारा उपेक्षित बुजुर्ग लोगो के दर्द तथा पीड़ा को उकेरती हैं ये लघु कथा सब कुछ होते हुए भी कई बुजुर्ग दम्पति असहाय जीवन व्यतीत करते हैं! सादर बधाई आदरणीय सीमा जी
सही कहा इस खेल में खुद को सम्भालो या प्रेम के नाम पर मात खाओ ,बहुत अच्छी और प्रदत्त विषय को सार्थक करती लघु कथा बधाई आपको आदरणीय सीमा जी
सुंदर रचना|बधाई स्वीकारें आदरणीया
हार्दिक बधाई आदरणीय सीमा जी!बहुत भावुक, मार्मिक और सुंदर लघुकथा !
आदरणीया सीमा जी प्रदत विषय पर आपने वर्तमान का सटीक चित्रण किया है , हार्दिक बधाई स्वीकारें।
बहुत मार्मिक लघु कथा लगता है हर दूसरे घर की कहानी है बच्चों को प्यार करना उनपर खर्च करना ठीक है किन्तु अपने विषय में भी सोचना चाहिए एक समझदारी का विचार जो नायिका के मन में आया बहुत अच्छा लगा पढ़ के हार्दिक बधाई आपको सीमा जी |
बहुत बहुत बधाई....आ0 सीमा जी l
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