For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-84

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-84 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। हमारे आसपास बहुत कुछ घटित होता रहता है. उनमे से बहुत कुछ ऐसा भी होता है जो हमारी लघुकथा का कथानक बन सकता है। इस 'आसपास' का दायरा बहुत ही विशाल है। इसमें घर, परिवार, आस-पड़ोस, कार्यालय, आपसी नोक-झोंक, स्नेह, राजनीति, संघर्ष दुःख-सुख आदि शामिल होते हैं. तो आइए इस विषय के किसी भी बिंदु पर एक सार्थक लघुकथा लिखकर इस गोष्ठी को सफल बनाएँ  
:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-84
"विषय: 'आसपास'
अवधि : 30-03-2022  से 31-03-2022 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 2109

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

पालतू जानवर के साथ घर के बुजुर्ग की स्थिति की तुलना अनेक कथाओं में की गई है।

विषय भी कई बार दोहराया गया है।कथानक पुराना हो लेकिन कथ्य नवीन हो तो लघुकथा में जान आ जाती है।

इस कथा में दोहराव है।

आशा करती हूं आप मेरी टिप्पणी को अन्यथा नहीं लेंगे।

जी!बहुत-बहुत धन्यवाद, आदरणीय। 

आदरणीया बबिता जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति. हार्दिक बधाई. 

डोगी-डॉगी

एसी-ए.सी.

बेवश- बेबस या विवश

जी।बहुत-बहुत धन्यवाद, सर

कथ्य जाना पहचाना है।जैसा दिव्या जी ने कहा,प्रस्तुतिकरण मे कसाव जाने-पहचाने विषय को प्रभावी बना देता है। बहरहाल हार्दिक बधाई इस रचना के लिये

हार्दिक बधाई  आदरणीय बबिता जी।सुन्दर लघुकथा।

//मुझे भी अपने डोगी के साथ पार्क में घुमाने ले जाया करो..// बहुत ही मार्मिक व प्रभावोत्पादक पंक्ति है.
लघुकथा अच्छी हुई है, साथियों की राय पर गौर करें और मेरी बधाई स्वीकार करें. 

विषय में नया पण नहीं है एवं अनावश्यक (...) आशा करती हूँ आप अन्यथा न लेंगी | बहरहाल बधाई स्वीकारें| 

"मृत शरीर "

वह दरवाजा खोलकर अंदर दाखल हुआ . स्नेहा उसे कही दिखाई नहीं दी . उसने आवाज भी लगाईं पर ....होगी शायद अंदर वाले कमरे या वाशरूम में . आ जाएगीं ये सोचकर वो सोफे पर बैठ गया . तभी उसका ध्यान टेबल पर पडी अधखुली डायरी पर गया . क्या होगा इसमें इस उत्सुकता से उसने डायरी उठाई .
" स्नेहा कविताएँ-कथाएँ लिखती है ये तो उसे पता था . उन्हें पढ़ने का आग्रह कभी उसने नहीं किया , ना कभी खुद होकर कुछ सुनाया." 
उसने डायरी खोल ली . अपने स्वभाव की तरह ही स्नेहा की डायरी एकदम व्यवस्थित. पहले पन्नों पर अनुक्रमाणिका, उसके आगे पृष्ठ संख्या ...
वो एक-एक पन्ना पलटता रहा .अचानक उसका ध्यान एक शीर्षक पर गया  " लाशें भी " 
वो पढ़ने लगा.....

आपको पता है
लाश बिल्कुल तुम्हारी तरह है
लाश खाती है
लाश बैठ जाती है
लाश सो रही है
.......
.........
.........
.........
बस एक ही अंतर है-
लाशें लाशें हैं
बहुत कुछ तुम्हारे जैसी
थोड़ा
तुमसे अलग !!
वो कुछ क्षण सुन्न हो गया . विचारो के भवर में उलझ गया . कुछ समझ ना पाया की आखिर क्या बात कहना है कविता में.
" छोड़ो इसे ये तुम्हारे लिए नहीं है " हाथ से डायरी खींचते स्नेहा ने कहा .
उसने डायरी को कसकर पकड़ रखा था . वो छुड़ा नहीं पाई .
स्नेहा चाय और नाश्ता टेबल पर रख उसके सामान्य होने का इंतज़ार कर रही थी.
क्या यह कभी हुआ? एक मुर्दा एक जीवित व्यक्ति की तरह कैसे हो सकता है? कुछ भी । मुझे समझाओ। मुझे कुछ समझ नहीं आया। एक लाश कैसे बात कर सकती है?'
"क्यों? क्यों नहीं बोल सकता . अभी एक ही लाश ही तो तुमसे बात कर रही है, और सुन भी रही है .
चलो छोड़ो चाय पीते है . उन्हें कभी -कभी मनुष्य भी चाहिए होते है. चाय का कप आगे बढ़ाते स्नेहा ने कहा

मौलिक व अप्रकाशित

कटु सत्य... कठपुतली बनी स्थिति पर करारा तंज.

बेहतरीन रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई, आदरणीय। 

स्त्री विमर्श एक नये कलेवर में खूबसूरती से रखा है आपने। हार्दिक बधाई। कुछ एक जगह कसावट की जा सकती थी। 

हार्दिक बधाई  आदरणीय नयना जी।लाजवाब प्रस्तुति।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
2 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
5 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service