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प्रेरणास्पद आकाँक्षा बहुत बढ़िया हार्दिक बधाई आ० राजेंद्र कुमार जी बाकि विद्व्द्जनों जनों की मार्गदर्शक बातें संज्ञान में लें.
हार्दिक बधाई आदरणीय राजेंदर जी!आपका प्रयास सराहनीय है!
बढ़िया रचना प्रदत्त विषय पर , बधाई आपको
अधूरे सपने ( लघु कथा )
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आज का दिन राजेंद्र बाबू के लिए बहुत ख़ास है क्योंकि उनका बेटा श्याम पांच साल बाद विदेश से पढ़ाई समाप्त करके घर वापस आरहा था / उनके दोस्त मोहन गाँव के जमींदार हैं ,उनकी एक बेटी रुकमणि जो लाड प्यार में ज़्यादा नहीं पढ़ सकी /राजेंद्र बाबू की सिर्फ यही आकांछा है कि बेटे की शादी रुक्मणी से हो जाये / इस से उन्हें दो फायदे , मोहन की जायदाद अपनी हो जाएगी और पढ़ाई में लिया क़र्ज़ भी ख़त्म हो जायेगा। .... उनकी इतनी औक़ात कहाँ जो बीटा विदेश जा पाता / राजेंद्र बाबू सोच ही रहे थे की जीप के हॉर्न की आवाज़ सुनाई दी। .... वो बाहर पत्नि के साथ आये और मोहन ,उनकी पत्नि और बेटी के साथ हवाई अड्डे को रवाना हो गए / रास्ते में राजेंद्र बाबू कहीं खो गए। ........बेटा कहा करता था , शादी सिर्फ सात फेरों का नाम नहीं वह तो विचारों का मिलन है ,जातपात तो इंसान ने बनाये हैं / अचानक ड्राइवर ने ब्रेक लगाया। ... सब लोग हवाई अड्डे के अंदर चले गए / सभी यात्री विमान से उतर कर अपने अपने परिजनों की तरफ जा रहे थे परन्तु राजेंद्र बाबू की निगाहें बेटे को ढूंढ रहीं थीं। ... यकबयक राजेंद्र बाबू के सामने जो मंज़र आया उससे उनकी आँखें फटी की फटी रह गयीं उनकी आकांछाओं का खून हो चूका था /........ श्याम जिस लड़की के साथ उनकी तरफ आरहा था वह उसके कॉलेज की सहपाठी अनुसूचित जाति की राधा थी। ....
(मौलिक व अप्रकाशित )
जनाबशेख शहज़ाद उस्मानी साहिब , आप को लघु कथा पसंद आई मेरी पहली कोशिश कामयाब हो गयी
तहे दिल से आप का शुक्रिया , महरबानी ........
जनाब सत्विन्दर कुमार साहिब , आप को लघु कथा पसंद आई मेरी पहली कोशिश कामयाब हो गयी
तहे दिल से आप का शुक्रिया , महरबानी ........
कथा को कथा के रूप में पेश करने हेतु थोडा और प्रयास अपेक्षित था
जनाब गोपाल नारायण साहिब , मशवरे और होसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया। ...
आदरनीय तस्दीक जी, सुंदर लघुकथा के लिए बधाई कुबूल करें
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