परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 96 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब फ़िराक़ गोरखपुरी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|
"रात है नींद है कहानी है "
2122 1212 22
फाइलातुन मुफाइलुन फेलुन/फइलुन
(बह्र: खफीफ मुसद्दस मख्बून मक्तुअ)
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | इस बार मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 27 जून दिन बुधवार को हो जाएगी और दिनांक 28 जून दिन गुरुवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आपका ह्रदय से आभार आदरणीय नादिर खान साहब. सादर
जनाब राज़ नवादवी साहिब , अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं | मेहमानी क़फ़िया सही नहीं है, देखिएगा |
आपका ह्रदय से आभार आदरणीयअहमद खान साहब.
तकनीकी बातें मंच के महानुभावों के अधीन हैं, ज़रूर उनकी इस्लाह आएगी. सादर
'हर घड़ी ग़म की मेहमानी है'
हर घड़ी ग़म/2122
की मेहमा/1212,की शब्द की मात्रा गिरेगी ।
नी है/22
'महमानी' और 'मेहमानी', दोनों शब्द सहीह हैं ।
बढ़िया ग़ज़ल है आदरणीय राज़ नवादवी जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। मेहमानी को ले कर मुझे भी संशय है। सादर।
आपका ह्रदय से आभार आदरणीय महेंद्र कुमार साहब.
तकनीकी बातें मंच के महानुभावों के अधीन हैं, ज़रूर उनकी इस्लाह आएगी. सादर
'हर घड़ी ग़म की मेहमानी है'
हर घड़ी ग़म/2122
की मेहमा/1212,की शब्द की मात्रा गिरेगी ।
नी है/22
'महमानी' और 'मेहमानी', दोनों शब्द सहीह हैं ।
इस उम्दा ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद कुबूल करें आदरणीय राज़ नवादवी जी|
आपका ह्रदय से आभार आदरणीया कल्पना भट्ट जी. सादर
आदरनीय राज़ जी, कमाल के कलाम के लिए दाद कुबूल करें।
आपका ह्रदय से आभार आदरणीय मोहन जी. सादर
आदरणीय राज जी बहुत खूब ग़ज़ल हुई बहुत-बहुत बधाइयां
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