For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।

महा-उत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें |
पिछले 40कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-41 (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष)

विषय - "दोरंगी तस्वीर "

आयोजन की अवधि- शनिवार 8 मार्च 2014 से रविवार 9 मार्च 2014 की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दिए हुए विषय को दे डालें एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति. बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए.आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

 

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

 

अति आवश्यक सूचना :-

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो.
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 8 मार्च 2014 दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा)

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका
डॉo प्राची सिंह
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 12268

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बहुत सुन्दर आदरणीया राजेश कुमारी जी..मुझे लगता है की इक की जगह अगर एक हो जाता तो प्रवाह बाधित नहीं होता..बहुत ही अच्छी गजल है..बधाई हो..

मनोज कुमार सिंह जी एक लिखने से आगे बहर गड़बड़ा जायेगी इक बहर के अनुसार ही लिखा है ,आपका बहुत- बहुत शुक्रिया  

बहुत सार्थक तथ्य को शब्दबद्ध किया है आपने आदरणीया राजेशजी. बहुत बहुत बधाई.

वैसे यह जानना रोचक होगा कि आपने ऐेसे बह्र पर ही बाँधना थ अतो मात्रिक बह्र क्या अन्यथा होती. मैं फेलुन फेलुन की आवृति की बात कर रहा हूँ. वस्तुतः ग़ज़ल को पढ़ने के क्रम में उसी प्रवाह में वाचन हो रहा है. 

सादर

 

ग़ज़ल  आपकी सराहना से मुकम्मल हो गई आ० सौरभ जी,आपका तहे दिल से आभार . आपने बहर में फेलुन की आवृत्ति की बात की है पहले सोचा भी था किन्तु कुछ शब्द मात्रा पतन की इजाजत नहीं दे रहे थे  इस लिए नहीं कर पाई.  

इस सुंदर प्रस्तुति पर सादर बधाई आदरणीया दीदीजी

तहे दिल से आभार रमेश कुमार भैया. 

खूब ग़ज़ल की आपने, किया विषय से न्याय
सच मानें यह ग़ज़ल है, उत्सव का पर्याय ||

//बेटियां अपनी सावित्री ,सीता जैसी पात्र अगर

दूसरे  की बेटी में क्यूँ उनको लैला हीर दिखे//

क्या कहने आदरणीया, बहुत ही सुन्दर कहन, अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें |

"ओबीओ लाइव महा-उत्सव" अंक - ४१ में मेरी प्रस्तुति -

दोरंगी  तस्वीर  देखकर ,  सोच  रहा  होगा  भगवान
मैंने  मानव जिसे बनाया , वह क्यों बन बैठा शैतान
मैंने कोमल हृदय दिया था, जो था प्रेम भरा निष्काम
लोभ कपट छल धोखा ईर्ष्या, इसने डाले द्वेष तमाम ||

मैंने  दी  थी  भोली  सूरत, पहन  मुखौटे  रहा बिगाड़
लूट रहा  सारी दुनियाँ को , क्यों लेकर  वह मेरी आड़
माँ भगिनी पत्नी सम नारी, करता इससे भी खिलवाड़
कन्या - भ्रूण न भाये इसको, कितनी कोखें रहा उजाड़ ||

बंजर  धरती को  कर  डाला , पर्वत  पर  भी  किये  प्रहार
जंगल  प्रतिदिन  काट  रहा  है , जो  हैं  जीवन के आधार
निर्मल नदियों को कर दूषित, रहा हवा में नित विष घोल
कहाँ  संतुलन  रहा  प्रकृति में , मैंने  जो  दी थी अनमोल ||

सत्ता - मद में  भूल  रहा  है , रिश्ते - नाते  का  भी मान
संस्कारों को तज कर अपने, खुद को समझ रहा भगवान
अब  तो  मुझको  आना  होगा, हरने को जन-जन की पीर
और  बदलनी  होगी  मुझको  ,  जग  की  दोरंगी  तस्वीर ||

(मौलिक और अप्रकाशित)

बहुत ही सुन्दर आदरणीय निगम सर

 

"मैंने  दी  थी  भोली  सूरत, पहन  मुखौटे  रहा बिगाड़
लूट रहा  सारी दुनियाँ को , क्यों लेकर  वह मेरी आड़
माँ भगिनी पत्नी सम नारी, करता इससे भी खिलवाड़
कन्या - भ्रूण न भाये इसको, कितनी कोखें रहा उजाड़ "

बहुत सुन्दर , सादर बधाई.....

"दोरंगी तस्वीर "


मैंने  दी  थी  भोली  सूरत, पहन  मुखौटे  रहा बिगाड़ ???????????

जंगल  प्रतिदिन  काट  रहा  है , जो  हैं  जीवन के आधार ???????????


संस्कारों को तज कर अपने, खुद को समझ रहा भगवान !!!!!1

arun kumar nigam ji bahut sunder saras sarthak chhand prastuti..

बहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह ---अब तो उसी की आस है कि वो धरती पर आये और इस दोरंगी तस्वीर को बदल दे ,बधाई आपको अरुण कुमार निगम जी, इस सुन्दर प्रस्तुति पर.

 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय प्रतिभा जी , आपने बचपन के दिनों की याद दिला दी , बहुत सुन्दर गीत रचना की है , बधाई आपको "
23 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय चेतन भाई  अच्छी ग़ज़ल हुई है  , बधाई  आपको आख़िरी शेर की मात्रा कृपया …"
26 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  लक्ष्मण  भाई मात्रिक  बहर में बढ़िया ग़ज़ल कही है , हार्दिक बधाई "
32 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय सुरेश भाई , माँ  को समर्पित गीत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई …"
35 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई "
38 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
" छुट्टी- छुट्टी _____ याद आ रहे हैं बचपन के,  दिन गर्मी  छुट्टी…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल  221    1221   1221    12 ये ज़िन्दगी  अहबाब…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर और भावप्रधान गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"सीख गये - गजल ***** जब से हम भी पाप कमाना सीख गये गंगा  जी  में  खूब …"
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"पुनः आऊंगा माँ  ------------------ चलती रहेंगी साँसें तेरे गीत गुनगुनाऊंगा माँ , बूँद-बूँद…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल २२   २२   २२   २२   २२   …"
23 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service