For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २०(Now Closed with 906 Replies)

परम स्नेही स्वजन,

ओ बी ओ प्रबंधन ने निर्णय लिया है कि प्रत्येक माह के प्रारम्भ में ही "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे" की घोषणा कर दी जाए जिससे कि सबको पर्याप्त समय मिल जाय| अतः आप सबके समक्ष फरवरी माह का मिसरा-ए-तरह हाज़िर है| इस बार का मिसरा जाने माने शायर जनाब एहतराम इस्लाम साहब की गज़ल से लिया गया है| हिन्दुस्तानी एकेडमी से प्रकाशित  "है तो है" आपकी ग़ज़लों का संग्रह है जिसमे हिंदी, उर्दू की कई बेशकीमती गज़लें संगृहीत है| 

"अबके किस्मत आपकी चमकी नहीं तो क्या हुआ"

बह्र: बहरे रमल मुसम्मन महजूफ

अब(२)/के(१)/किस्(२)/मत(२)     आ(२)/प(१)/की(२)/चम(२)      की(२)/न्(१)/ही(२)/तो(२)      क्या(२)/हू(१)/आ(२)

२१२२  २१२२  २१२२  २१२

फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन 

रदीफ: नहीं तो क्या हुआ 

काफिया: ई की मात्रा (चमकी, आई, बिजली, बाकी, तेरी, मेरी, थी आदि)

विनम्र निवेदन: कृपया दिए गए रदीफ और काफिये पर ही अपनी गज़ल भेजें | अच्छा हो यदि आप बहर में ग़ज़ल कहने का प्रयास करे, यदि नए लोगों को रदीफ काफिये समझने में दिक्कत हो रही हो तो आदरणीय तिलक राज कपूर जी की कक्षा में यहाँ पर क्लिककर प्रवेश ले लें और पुराने पाठों को ठीक से पढ़ लें|

मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २६ फरवरी  दिन रविवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक २८ फरवरी दिन मंगलवार के समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |


अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-२० जो पूर्व की भाति तीन दिनों तक चलेगा,जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन स्तरीय गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं | साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |


मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो २६ फरवरी  दिन रविवार लगते ही खोल दिया जायेगा )

यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |

 
मंच संचालक

राणा प्रताप सिंह

(सदस्य प्रबंधन)

ओपन बुक्स ऑनलाइन

Views: 15927

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

सलिल के ही सहारे हर देव हैं फूले फले।
इक विन्ध्येश्वरी फूला अगर,कृपा नहीं तो क्या हुआ॥
(मतलब यह आपकी ही कृपा है)
शिवा को सराहूँ कि सराहूँ छत्रपाल को .............. सभी शे 'र सवा शेर .......... साधुवाद आचार्य जी

बहुत सही कहा आपने मित्रवर.. .

आप जैसा क़द्रदां पर जानो-दिल को वारकर.

सती की महती कृपा पाई नहीं तो क्या हुआ..

ससुर जी के माल पर नज़रें गड़ाना मत 'सलिल'.
सास ने दी सुबह से धमकी नहीं तो क्या हुआ??


बस एक व्य्कतव्य ही तो आया था......बस सभी समझाने मनाने आ गये थे...हा हा हा हा..  :-))))))))

 

कौन लगता कंठ गा फागें, कबीरा गाँव में? 
पर्व में तलवार ही दमकी नहीं तो क्या हुआ??

आचार्य जी ने मतगणना के बाद के फ़ागुन को क्या खूब पहचाना है...

सादर

काम की उलझनों में इस बार मुशायरे में पूरा समय नहीं बिता पाया क्षमा का प्रार्थी हूँ ..
आज हँस लो, भाव आटे-दाल का कल पूछना.
चूड़ियों ने आँख गर नम की नहीं तो क्या हुआ??/////// बहुत बढिया आचार्य जी ..दिली दाद क़ुबूल करें ...:-)

मतला क्या कहा है वाह वाह

 

अबके किस्मत आपकी चमकी नहीं तो क्या हुआ?

सुबह से बीबी अगर तमकी नहीं तो क्या हुआ??

आदरणीय आचार्य जी 

आपने दी गई बंदिश से भी आगे बढ़कर काफिये को चुना है यह आपकी इस विधा पर सहज पकड़ का परिचायक है| मात्राओं के इस खेल में, हास्य रस में गज़ल जैसी विधा को साध लेना वाकई बड़ी मेहनत का काम है| साथ ही साथ आपने युवाओं को एक सन्देश भी दिया है जो बोनस है|

ढेरों दाद कबूलिये|

"ससुर जी" और  "सुबह से" को फाइलातुन में बांधने में समस्या आ रही है|

दाल-रोटी पर यूँ चुपड़ा घी नहीं तो क्या  हुआ.

मुझपे उस करतार की मर्जी नहीं तो क्या हुआ!
***
दुश्मनी  से  दोस्ती  कर के  बता देंगे  तुम्हे,
दोस्ती के  मायने  बाकी  नहीं तो क्या हुआ .
***
गुंडई के  कारनामे हम  भी कर  सकते यहाँ,
पास अपने कोई भी वर्दी नहीं तो  क्या हुआ.
***
मय-ओ-मेरे बीच में कोई न मुझको चाहिए,
आज मैखाने में जो साकी नहीं तो क्या हुआ.
***
अपनी बेटी को पढ़ाकर बन गया तू औलिया,
आंगने में जो तेरे तुलसी नहीं तो क्या हुआ.
***
कल तुम्हारी मुट्ठियों में कैद है 'अविनाश' जी,
अब के किस्मत आपकी चमकी नहीं तो क्या हुआ.
***
अविनाश बागडे.....नागपुर.
 बहुत शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय श्री अविनाश जी !!
दाल-रोटी पर यूँ चुपड़ा घी नहीं तो क्या  हुआ.
मुझपे उस करतार की मर्जी नहीं तो क्या हुआ!
बिलकुल दिल को छू लेने वाली बात !!
***
दुश्मनी  से  दोस्ती  कर के  बता देंगे  तुम्हे,
दोस्ती के  मायने  बाकी  नहीं तो क्या हुआ .
ववाह क्या बात कह दी है आपने !!
***
गुंडई के  कारनामे हम  भी कर  सकते यहाँ,
पास अपने कोई भी वर्दी नहीं तो  क्या हुआ.
आय हाय क्या अंदाज़
***
मय-ओ-मेरे बीच में कोई न मुझको चाहिए,
आज मैखाने में जो साकी नहीं तो क्या हुआ.
होली का रंग चढ़ गया अभी से :-)) सुन्दर कहाँ
***
अपनी बेटी को पढ़ाकर बन गया तू औलिया,
आंगने में जो तेरे तुलसी नहीं तो क्या हुआ.
आँगन की संस्कृति को छू लिया आपने वाह
***
कल तुम्हारी मुट्ठियों में कैद है 'अविनाश' जी,
अब के किस्मत आपकी चमकी नहीं तो क्या हुआ.
 सही कहा बहुत बहुत बधाई आपको इस रचना के लिए !!
***
अभिनव जी
शेर-दर-शेर जिस अंदाज़ में आपने टिप्पणियां की है
इस बात का मै कायल हुआ
वाह!सर जी.

अपनी बेटी को पढ़ाकर बन गया तू औलिया,

आंगने में जो तेरे तुलसी नहीं तो क्या हुआ.
***laajabaab sher.....bahut badhia ghazal Avinash ji.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार सुशील भाई जी"
2 hours ago
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार समर भाई साहब"
2 hours ago
रामबली गुप्ता commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"बढियाँ ग़ज़ल का प्रयास हुआ है भाई जी हार्दिक बधाई लीजिये।"
2 hours ago
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"दोहों पर बढियाँ प्रयास हुआ है भाई लक्ष्मण जी। बधाई लीजिये"
2 hours ago
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"गुण विषय को रेखांकित करते सभी सुंदर सुगढ़ दोहे हुए हैं भाई जी।हार्दिक बधाई लीजिये। ऐसों को अब क्या…"
2 hours ago
रामबली गुप्ता commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"आदरणीय समर भाई साहब को समर्पित बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखी है आपने भाई साहब।हार्दिक बधाई लीजिये।"
2 hours ago
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आहा क्या कहने भाई जी बढ़ते संबंध विच्छेदों पर सभी दोहे सुगढ़ और सुंदर हुए हैं। बधाई लीजिये।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सादर अभिवादन।"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
20 hours ago
Admin posted discussions
22 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service