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वन्दे मातरम दोस्त,
दिगम्बर भाई जी हौसला अफजाई के लिए आपका हार्दिक आभार,
राकेश जी ... भाव मौलिक होने चाहियें ... शिल्प धीरे धीरे आ जाता है ... आपके भाव सीधे दिल में उतर रहे हैं ....
वन्दे मातरम दोस्त,
दिगम्बर भाई जी आप सभी से सीखते सीखते शिल्प भी आ ही जाएगा
वन्दे मातरम नवीन जी,
मैं करीब एक साल से सक्रिय रूप से ब्लॉग की दुनियां में हूँ, मगर इस दौरान कोई ऐसा मंच नही मिला जहां हम कुछ सीख सकते, जहाँ हमे हमारी कमियों की और ध्यान दिलाया जाता, केवल वाह .बेहतरीन, सुंदर जैसे शब्द ही हमे मिलते थे ...... मगर OBO पर आकर हमे साहित्य की अलग अलग विधायों के बारे में जान्ने सीखने को बहुत कुछ मिला,
मैं आभारी हूँ आपका की इस मंच तक मैं आपके ही कारण पहुंच सका हूँ.........
//मतला भी अच्छा है और गिरह भी बड़ी सादगी से लगाई है !//
आजादी की दुल्हन का करने वरण वो,
तमाम उम्र जेल में गुजारी मुहब्बत ..........
//राकेश भाई, अर्थ बेशक समझ आ रहे हैं इस शेअर के मगर शब्द यहाँ आपका साथ नहीं निभा पाए !//
वन्दे मातरम कह चूमा फांसी का फंदा,
है फांसी के फंदे पे भारी मुहब्बत .........
//अच्छा ख्याल है !//
शहीदों ने लहू दे कर सींचा है जिसको,
अमन की वो सुंदर फुलवारी मुहब्बत........
//सादगी से कही हुई सच्ची बात !//
जाती, भाषा, प्रान्त की खातिर हम लड़ रहे,
अजब है ये कैसी हमारी मुहब्बत .........
बेहद शर्मिंदगी की बात है यारों,
शहीदों की शहादत पे जारी मुहब्बत.........
नेताओं समझ में ना आई किसी को,
वतन से ये कैसी तुम्हारी मुहब्बत .........
//माफ़ कीजियेगा राकेश भाई, ये सपाटबयानी है - शेअर नहीं हैं !//
समझ के भी समझ ना पाया "दीवाना"
कैसी खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत..........
//बहुत खूब !//
आदरणीय प्रभाकर जी,
पहली कोशिश मे आपको चन्द पँकतियाँ ठीक लगी मेरी हौस्ला अफजाई के लिए इतना ही काफ़ी है बाकी आप सभी के सहयोग से सीखना ही है
समझ के भी समझ ना पाया "दीवाना"
कैसी खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत
वाह वाह वाह ..
बड़ी बात कह दी राकेश जी..
दिल खुश कर दिया...
लिखने के लिए धन्यवाद
वन्दे मातरम भास्कर भाई जी हौसला अफजाई के लिए आपका हार्दिक आभार,
बहुत ही सुंदर भाव, बधाई कुबूल कीजिए राकेश जी
वन्दे मातरम धर्मेन्द्र भाई जी,
आप ही शिल्पकारों से सीखने की कोशिश मात्र कर रहा हूँ , हौसला अफजाई के लिए आपका हार्दिक आभार,
प्रिय राकेश.
आपका प्रयास अच्छा है. सुधर योगराज जी ने इंगित कर दिए हैं आप इन्हें समझकर दोबारा लिखें तो मशक भी होगी और सुधारों पर इस्लाह भी मिल जायेगी.
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