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‘कोहरा सूरज धूप’ की समीक्षा - जहीर कुरैशी४७ वर्षीय बृजेश नीरज का काव्य-संग्रह ‘कोहरा सूरज धूप’ अनेक कोणों से पाठक का ध्यानाकर्षण करता है. सबसे पहले तो मुझे इस संग्रह में… Started by बृजेश नीरज |
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Apr 8, 2014 Reply by बृजेश नीरज |
सदस्य टीम प्रबंधन 'इकड़ियाँ जेबी से' - एक पाठकीय समीक्षा‘इकड़ियाँ जेबी से’ – एक पाठकीय समीक्षा अंजुमन प्रकाशन, इलाहबाद की ‘साहित्य सुलभ संस्करण’ योजना की आठों पुस्तकों को अपने हाथों में पाना वि… Started by Dr.Prachi Singh |
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Apr 7, 2014 Reply by Dr.Prachi Singh |
पुस्तक समीक्षा ग़ज़लकार ज़हीर कुरेशी जी द्वारा ग़ज़ल कहनी पड़ेगी झुग्गियों पर (‘सज्जन’ धर्मेन्द्र)अंजुमन प्रकाशन, इलाहाबाद के साहित्य सुलभ संस्करण की आठ काव्य पुस्तकों के लोकार्पण के अवसर पर दिनांक 22 फ़रवरी, 2014 को मुख्य अतिथि की आसंदी… Started by धर्मेन्द्र कुमार सिंह |
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Apr 7, 2014 Reply by धर्मेन्द्र कुमार सिंह |
सदस्य कार्यकारिणी इकड़ियाँ जेबी से (समीक्षा )अच्छा लेखन क्या ? जो अर्थ से भरा हो | जो अपनी सम्पूर्णता और जीवन्तता के साथ सीधा दिल में उतर जाए, लेखन के दर्पण में पाठक को अपना चेहरा नजर… Started by rajesh kumari |
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Apr 6, 2014 Reply by rajesh kumari |
खुलते परों के सामने का आकाश - गुलाब सिंह’परों को खोलते हुए’ हिन्दी के पन्द्रह कवियों का महत्वपूर्ण समवेत संकलन है. छन्द मुक्त काव्य में लयात्मक प्रवाह के साथ सघन वैचारिक… Started by Team Admin |
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Apr 5, 2014 Reply by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA |
''उधेड़बुन''........अतुकांत काव्य संग्रहपुस्तक का नाम.......''उधेड़बुन''........अतुकांत काव्य संग्रह ।गजलकार.........श्री राहुल देवसम्पर्क......मो0.....09454112975पुस्तक का मूल्य.… Started by केवल प्रसाद 'सत्यम' |
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Apr 5, 2014 Reply by Saurabh Pandey |
पुस्तक समीक्षा- दनकौर से लखनऊ तकडॉ गोयल ने चिकित्सा व साहित्य दोनों ही क्षेत्रों में अपना सम्यक व महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है | शल्य चिकित्सा से जुड़े रहने के बावजूद आपका… Started by Rahul Dev |
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Apr 5, 2014 Reply by Saurabh Pandey |
''सच का परचम''........गजलों का संकलन।-----समीक्षापुस्तक का नाम.......''सच का परचम''........गजलों का संकलन।गजलकार.........श्री अरूण कुमार पाण्डेय अभिनव अरूणसम्पर्क......मो0.....09415678748प… Started by केवल प्रसाद 'सत्यम' |
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Apr 5, 2014 Reply by Saurabh Pandey |
सदस्य टीम प्रबंधन डाली मोगरे की : समीक्षा // --सौरभशिवना प्रकाशन, सीहोर, मप्र के सौजन्य से सद्यः लोकार्पित ग़ज़ल-संग्रह ’डाली मोगरे की’ हाथों में है. इस पुस्तक का कलेवर, इसकी साज-सज्जा, रंग-सं… Started by Saurabh Pandey |
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Feb 20, 2014 Reply by Saurabh Pandey |
एक कवि की दृष्टि से - कोहरा, सूरज, धूप (बृजेश ‘नीरज’)"माँ! शब्द दो! अर्थ दो!” ये तीन पंक्तियाँ मिलकर एक छोटी सी कविता रच देती हैं। ये कविता उस यात्रा की शुरुआत है जिसका प्रारंभ घने कुहरे से हो… Started by धर्मेन्द्र कुमार सिंह |
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Feb 19, 2014 Reply by बृजेश नीरज |
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