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धार्मिक साहित्य Discussions (167)

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जयतु मातु

द्रुतविलम्बित छंद।।।,  ऽ।।,  ऽ।।,  ऽ। ऽ.................................जयतु मातु दया सुख दायनीभगत वत्सल शोक विनाशनीजगत मातु दया तुम कीजिये…

Started by रमेश कुमार चौहान

0 Sep 30, 2014

हे गजानन

वसन्तिलका वर्णिक छंदऽ ऽ  । ऽ ।  ।  ।ऽ  ।  । ऽ  । ऽ ऽहे वक्रतुण्ड़ गण नायक विघ्नहारी। हे पार्वती तनय भक्तन हीतकारी।।हे वर्ण अक्षर रूपा प्रभु…

Started by रमेश कुमार चौहान

1 Sep 30, 2014
Reply by rajesh kumari

उपालंभ वंदना

           (गणेश का कथन पार्वती से ) देखो मातु, शारदा है आपकी विचित्र अति मेरी  लेखनी  का  अंग-भंग  कर  देती है I   चिन्तना में डूबता हूँ…

Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

3 Sep 30, 2014
Reply by rajesh kumari

दोहे (प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा )

दोहे (प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा ) वंदना श्री गणेश जी , वंदहु श्री हनुमान वंदना माँ सरस्वती , दीजिए विद्या दान माधव चरण शीश धरे, अर्जुन माँग…

Started by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA

3 Sep 30, 2014
Reply by rajesh kumari

श्रीकृष्ण स्मरण

जन्माष्टमी पर विशेष                                                         मनमोहन  माधव मधुसूदन I वात्सल्य रसामृत से जिनके ब्रज का आप्यायि…

Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

5 Sep 30, 2014
Reply by rajesh kumari

गणेशाष्‍टक

धरा सदृश माता है माँ की परिकम्मा कर आये। एकदन्‍त गणपति‍ गणनायक प्रथम पूज्‍य कहलाये।।1।।   लाभ-क्षेम दो पुत्र ऋद्धि-सि‍द्धि‍ के स्‍वामि गजान…

Started by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul'

1 Sep 30, 2014
Reply by rajesh kumari

दोहे // प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा //

दोहे // प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा //-------------------------------------राम नाम लिये बगैर करते हैं जो काज जीवन सदा दुखी रहे जान लीजिये राज…

Started by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA

0 Aug 2, 2014

बाबा की महिमा

बसे है वो पहाड़ो में वहीं सबको बुलाते है बुला कर पास अपने वो सभी का गम मिटाते हैं।। सजा है काफिला कैसा कभी आ कर जरा देखो कठिन है राह फिर भी…

Started by Akhand Gahmari

0 Jul 20, 2014

माँ के चरणों मे कुछ छन्न पकैंया छंद -- (प्रथम प्रयास)

छन्न पकैंया छन्न पकैंया माँ की जोत जलाऊँ |मेवा कदली लौंग लाइची उनको भोग लगाऊँ || छन्न पकैंया छन्न पकैंया छम छम पायल बाजे |जयकारा मइया का गा…

Started by Meena Pathak

2 Apr 8, 2014
Reply by Meena Pathak

भजन - मेरे साईं ( अन्नपूर्णा बाजपेई )

  तेरी आँखों मे वो नूर है साई  जब भी विकल हो शरण मे आई  तूने संभाला है मुझको मेरे साईं  गले से हर बार तूने लगाया है साईं  मेरे साईं .......…

Started by annapurna bajpai

0 Apr 2, 2014

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

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