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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 33 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

प्रस्तुत चित्र श्री शिवकुमार कौशिकेय जी के सौजन्य से प्राप्त है.

तो आइये उठा लें अपनी-अपनी लेखनी और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण !


छंदोत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें |

आपको पुनः स्मरण करा दें कि छंदोत्सव का आयोजन मात्र भारतीय छंदों में लिखी गयी काव्य-रचनाओं पर ही आधारित होगा. इस छंदोत्सव में पोस्ट की गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों के साथ कृपया सम्बंधित छंद का नाम व उस छंद की विधा का संक्षिप्त विवरण अवश्य लिखें. 

ऐसा न होने की दशा में आपकी प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार कर दी जायेगी.

 

नोट :

(1) 20 दिसंबर 2013 तक Reply Box बंद रहेगा, 21 दिसंबर दिन शनिवार से 22 दिसंबर दिन रविवार यानि दो दिनों के लिए Reply Box रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो. रचना भारतीय छंदों की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है. यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे और केवल मौलिक एवं अप्रकाशित सनातनी छंद की रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

 

विशेष :

यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बारsign up कर लें.

 

अति आवश्यक सूचना :

आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो रचनाएँ.

 

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.

 

नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.

 

सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

 

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.

 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहा...

 

मंच संचालक

सौरभ पाण्डेय

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

भाई गणेशजी,

आप द्वारा मिला खुला अनुमोदन और उत्फुल्ल करती टिप्पणी के लिए हृदय से आभार.
रचनाकर्म के क्रम में सवैया छंद पर हिन्दी भाषा में, यानि बिना आंचलिक भाषा के क्रियापद या संज्ञापद के,  प्रयास करना सदा से दुरूह कार्य रहा है. हिन्दी भाषा में लिखी यह छंद-प्रस्तुति यदि आपको रुचिकर लगी और आपको संतुष्ट कर पायी तो मैं इसे रचनाकर्म पर हुए प्रयास की सफलता मानूँगा.
बहुत-बहुत धन्यवाद
 

बहुत सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय सौरभ जी 

प्रथम बंद पृष्ठभूमि तैयार करता हुआ चरित बखान करता , दूसरा बंद पूर्णता से चित्र को परिभाषित करता और तीसरा बंद सुन्दर हितोपदेश निवेदित करता बहुत ही सार्थक बन पडा है. अनुप्रास अलंकार नें प्रस्तुति में चार चाँद लगा दिए..

शासन हाथ चढ़े  सब-के-सब  मुण्ड झुका  चुप दण्ड लगावें 
लोफर  लंपट  लीचड़ थे अब.. मुर्ग़  बने  तशरीफ़  दिखावें .....हाहाहा! बिलकुल चित्रानुरूप ..बहुत सुन्दर 

इस सुन्दर सुगठित प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदरणीय 

सादर.

आदरणीया प्राचीजी, आपको रचना-प्रयास रुचिकर लगा यह इस प्रस्तुति की सफलता है.
मुखर अनुमोदन के लिए सादर आभार, आदरणीया.
 

आदरणीय सादर ...... चित्रानुसार दिग्भ्रमित युवाओं को सही मार्गदर्शन देती आपकी प्रस्तुति पर नमन आपको ! 

भाई सचिनजी, हार्दिक धन्यवाद.

आपकी आत्मीय संलग्नता और आयोजन से जुड़ाव सार्थक परिणति प्राप्त करे..

शुभ-शुभ

आदरणीय सौरभ सर बहुत ही खूबसूरत रचना है, आपकी रचनाओं में एक अलग ही रस होता है लगता है बार बार पढ़ता रहूँ
///देह जवान, खिले तन पौरुष, रक्त भरी धमनी यदि भावे
काम करें सब लोग कि गाँव-समाज खुली जयकार मनावे
जोश भरा हर सैन्य-जवान कवायद में जब स्वेद बहावे
यार ज़रा कुछ काम करो शुभ.. भारत-माँ निज कोख जुड़ावे//
एक पूरी कहानी कहती हुई इस रचना ने आखिर में अच्छी सीख दी है, इस रचना के लिये दिली मुबारकबाद स्वीकार करें
सादर,

भाई शिज्जू जी, आपका छंदोत्सव में हार्दिक स्वागत है.
आपने मेरी छंद-रचना पर अपनी प्रतिक्रिया दे कर मानों मुझे निश्शब्द कर दिया है. मेरा प्रयास आपको रुचिकर और संप्रेषणीय लगा यह जानना मेरे लिए अत्यंत संतोष की बात है. हृदय से धन्यवाद भाईजी.
शुभ-शुभ

आदरणीय सौरभ भाई , आदरणीय सौरभ भाई , लाजवाब छंद रचना के लिये आपको अनेको बधाइय़ाँ ,

गाँव-समाज रहा इनसे अतित्रस्त.. खुला व्यभिचार मचावें
पातक था व्यवहार,  मलेच्छ विचार, कुलच्छन पूत कहावें
शासन हाथ चढ़े  सब-के-सब  मुण्ड झुका  चुप दण्ड लगावें
लोफर  लंपट  लीचड़ थे अब.. मुर्ग़  बने  तशरीफ़  दिखावें .......... पढ के बहुत अच्छा लगा , आपको ढेरों बधाई

आपका छंदोत्सव में हार्दिक स्वागत है, आदरणीय गिरिराजभाई.
मेरा प्रयास आपको रुचिकर लगा यह जानना मेरे लिए अत्यंत संतोष की बात है. उद्धृत छंद प्रदत्त चित्र को नाटकीय ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास भर है.

हृदय से धन्यवाद भाईजी.
शुभ-शुभ

चित्र का यह एक उजला पक्ष प्रस्तुत हुआ है आपकी रचना में | समाज सुधार की दिशा में सुन्दर सन्देश देती सार्थक और

मन मुग्ध करती रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय 

सादर धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण प्रसादजी..

आदरणीय सौरभ भाई जी.......

चित्र विचित्र लगा हमको लिख आप गये प्रभु तीन सवैया

सुन्दर मत्तगयंद  लगा अनुप्रास रुचा मन को अति भैया 

'सौरभ' के बस की यह बात , नहीं सबके बस में यह  दैया

शब्दन की रसरी धर पार ,  लगावत है कउनो विधि नैया  ||  

प्रथम और द्वितीय सवैया में लोफर  लंपट  लीचड़ का चरित्र-चित्रण कुशलता से हुआ है.तीसरा सवैया कवि के मन की बात कहता हुआ सार्थक सन्देश दे रहा है. आपकी कलम-कोकिला को नमन करता हूँ............................... 

 

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