मेरा वजूद बस इक बार बेखबर कर दे
पनाह दे तो असातीन मोतबर कर दे
चमन कहीं भी रहे और गुल कहीं भी हो
मेरे अवाम को बस खुशबुओं से तर कर दे
कोई निगाह तगाफुल करे न गैर को भी
सदा उठे जो बियाबाँ से चश्मे-तर कर दे
कहाँ-कहाँ न गया हूँ मैं ख्वाब को ढोकर
मेरा ये बोझ जरा कुछ तो मुक्तसर कर दे
तमाम रात अंधेरों से भागता ही रहा
तमाम उम्र उजाला तो रूह भर कर दे
तगाफुल= उपेक्षा; असातीन= खम्भा ;…
ContinuePosted on August 27, 2013 at 5:51pm — 15 Comments
बशर जब से यहाँ पत्थर में ढलना चाहता है
ये बुत भी आज पत्थर से निकलना चाहता है
रिहाई मांगता है आदमी दुनिया से फिर भी
जहाँ भर साथ में लेकर निकलना चाहता है
तुम्हारी जिद कहाँ तक रोक पाएगी सफ़र को
ये मौसम भी किसी सूरत बदलना चाहता है
जिसे पत्थर कहा तूने अभी तक मोम है वो
जरा सी आंच तो दे दो पिघलना चाहता है
भले सूखा लगे दरिया, मगर पानी वहां पर
जरा सा खोद कर देखो, निकलना चाहता है
बशर=…
ContinuePosted on August 25, 2013 at 9:44pm — 9 Comments
सोचने भर से यहाँ कब क्या हुआ
चल पड़ो फिर हर तरफ रस्ता हुआ
जिंदगी तो उम्र भर बिस्मिल रही
मौत आयी तब कही जलसा हुआ
रोटियां सब सेंकने में थे लगे
घर किसीका देखकर जलता हुआ
जख्म देकर दूर सब हो जायेंगे
आ मिलेंगे देखकर भरता हुआ
चाहिए पत्थर लिए हर हाथ को
इक शजर बस फूलता-फलता हुआ
बिस्मिल = ज़ख्मी
मौलिक और अप्रकाशित
Posted on August 10, 2013 at 6:39am — 16 Comments
दोस्त बनकर भूल जाने का हुनर आता नहीं
लोग कहते हैं के दस्तूरे सफ़र आता नहीं
जब रहम की आस में दम तोड़ता है आदमी
क्यों किसी के दिल-जिगर में वो असर आता नहीं
दरहकीकत छांव दे जो इस जहाँ की धूप से
अब हमारे ख्वाब में भी वो शजर आता नहीं
रंग-ओ-खुशबू है मगर,यह टीस है कुछ फूल को
वक्त जब माकूल रहता, क्यों समर आता नहीं
जब मुकाबिल तोप की जद में बरसती आग हो
फिर बशीरत के, सिवा कुछ भी नज़र आता…
ContinuePosted on August 7, 2013 at 5:54am — 7 Comments
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सदस्य कार्यकारिणीगिरिराज भंडारी said…
लोग कहते हैं के दस्तूरे सफ़र आता नहीं
जब रहम की आस में दम तोड़ता है आदमी
क्यों किसी के दिल-जिगर में वो असर आता नहीं
दरहकीकत छांव दे जो इस जहाँ की धूप से
अब हमारे ख्वाब में भी वो शजर आता नहीं ------------ वाह आदरणीय ललित जी मज़ा आ गया , क्या बात कही !!
आदरणीय ललित जी:
मैं आपकी रचनाओं को दिल्चस्पी से पढ़ता हूँ, आप अच्छा लिखते हैं। आपके और मेरे style भिन्न हैं, और मैं भविष्य में आपके कहे पर गौर करूँगा।
सादर,
विजय निकोर
Respected Sir
Please accept my heartiest congratulations for your all creations.
Regards
Babban Jee