For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

kalpna mishra bajpai
Share on Facebook MySpace

Kalpna mishra bajpai's Friends

  • S.S Dipu
  • Hari Prakash Dubey
  • seemahari sharma
  • harivallabh sharma
  • atul kushwah
  • Priyanka Pandey
  • Madan Mohan saxena
  • जितेन्द्र पस्टारिया
  • किशन  कुमार "आजाद"
  • annapurna bajpai
  • कल्पना रामानी
  • anand murthy
  • वेदिका
  • Meena Pathak
  • Shyam Narain Verma
 

kalpna mishra bajpai's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
kanpur uttar pradesh
Native Place
kanpur uttar pradesh
Profession
teacher
About me
i am a teacher and i like teaching and reading books.

Kalpna mishra bajpai's Blog

हे भारत जागो !

गंगा जमुनी परंपरा को

मानव मन में झंकृत कर दो

वेद रिचाएँ महक उठे सब

मंत्रों को उच्चारित कर दो

हे! भारत जागो

 

गुंफित हो वन उपवन सारे

अवनी को शुभ अवसर दे दो

रुके पलायन गाँव गली का

हृदय में समरसता भर दो

हे! भारत जागो

 

बलिदानों के प्रतिबिम्बन में

रिश्ते फूलें खुले गगन में

छुपी हुई मंथर ज्वाला को

मानवता में मुखरित कर दो

हे! भारत जागो

 

रूप तरुण तेरा मन…

Continue

Posted on December 17, 2015 at 8:44pm — 6 Comments

पाँव में है कील पर रुकना मना है,

पाँव में  है पीर पर  रुकना मना है,
प्रगति की राहों में चल थकना मना है ।
--
छांव को छोड़ो पचाओ धूप को तुम ,
गिड़गिड़ा चहुं ओर अब तकना मना है।
--
दांव चलने में लगा हर एक मोहरा,…
Continue

Posted on October 21, 2015 at 6:00pm — 12 Comments

शोधन मन का बहुत जरूरी!

शोधन मन का बहुत जरूरी,
क्यों खलता है खालीपन ?
**
बैठो कभी सरित के तट पर
गाते हैं मधुवन
बजते स्वर सुधियों के मद्धिम 
मधुरिम सा गुंजन
 …
Continue

Posted on October 11, 2015 at 9:00am — 11 Comments

हरसिंगार फूला नहीं समाया

शुभ्र चाँदनी ने था दुलराया

हरसिंगार फूला नहीं समाया

*****

तिर गया मदहोश हो

चमन की सुंदर हथेली पर

छुप कर खेलता आँखमिचौली

जान देता निशा की सहेली पर

सुंदरी ने जूड़े में सजाया

हरसिंगार फूला नहीं समाया

*****

खिल गया कपोलों पे

रजत कणों की कर्पूरी आभा लिए

वसुधा को करने सुगंधित

रूप अपना सादा लिए

भोर ने वृक्ष को धीरे से हिलाया

हरसिंगार फूला नहीं समाया

*****

बिछ गया बेसुध हो

मन में असीमित नेह…

Continue

Posted on September 29, 2015 at 6:30pm — 6 Comments

Comment Wall (5 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 9:51am on April 11, 2014, Deepak Sharma Kuluvi said…

शुक्रिया कल्पना जी मित्रता स्वीकार करने के लिए
************************************************
औरत तुझको अबला बनकर कुछ न हासिल होगा
अपनें हक़ की ख़ातिर तुझको ज़ुल्म से लड़ना होगा

(वाह नेता जी)

वाह रै भाई मुलायम यादव
सठिया से गए बुढ़ापे में
'रेप' को कहो हो बात छोटी सी
क्या हो नहीं अपणे आप्पे में
नेता'हो व्यान यूँ न दो
थारी छवि धूमल हो जावेगी
भला होवेगो माँग लो माफ़ी
कल बात वर्ना बढ़ जावेगी

*******************************

दीपक कुल्लुवी
१० -४ १४

At 11:15am on April 10, 2014, Deepak Sharma Kuluvi said…

कल्पना जी आपको दिली मुबारकवाद
बेहद खूबसूरत हैं आपकी रचनाएँ काफी लम्बे अर्से बाद बापिस लौटा हूँ बदला हुआ स्वरुप समझने में कुछ वक़्त लगेगा।

At 6:56pm on April 6, 2014,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीया श्रीमती कल्पना मिश्रा बाजपेयी जी,

सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें |प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।

आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 10:40am on February 17, 2014, कल्पना रामानी said…

कल्पना जी, आपका इस परिवार और मेरी मित्र सूची में हार्दिक स्वागत है

At 11:21pm on January 28, 2014, annapurna bajpai said…

हमारे ओबीओ परिवार मे आपका स्वागत है कल्पना जी । 

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
18 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
21 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service