For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

DIGVIJAY
Share on Facebook MySpace

DIGVIJAY's Friends

  • प्रदीप नील वसिष्ठ
  • amod shrivastav (bindouri)
  • मिथिलेश वामनकर
  • इमरान खान
 

DIGVIJAY's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
KANPUR
Native Place
LUCKNOW
Profession
BUSINESS

DIGVIJAY's Photos

  • Add Photos
  • View All

DIGVIJAY's Blog

मेरी पाँच हाईकू रचनाएं ।

टूटी आशाएं,

बिखरा परिवार,

मैं मिट गया ।। 1 ।।

 

तुम्हारी खुशी,

जीं-तोड़ मेहनत,

फिर भी विफल ।। 2 ।।

 

बहती पवन,

विकराल रूप,

सब कुछ बंजर ।। 3 ।।

 

रब नाऱाज,

लहरो का कहर,

बहते आँसू ।। 4 ।।

 

धुँधली रेखा,

तुम्हारा आगमन,

सूर्य उदय ।। 5 ।।

  

मौलिक एवं अप्रकाशित

Posted on December 4, 2015 at 3:00pm — 11 Comments

तुम सोचना ये मत (गजल)

1222-1222-1222-1222

मुझे गम के समन्दर में अभी बहना नहीं आया ।

सभी यारो ने माना ये सच्च कहना नहीं आया ।।

 

मुझे कहते रहे कायर इश्क के सूरमां सारे ।

मगर हम मौन हो गए और कुछ कहना नही आया ।।

 …

Continue

Posted on November 29, 2015 at 1:00am — 16 Comments

अँधेरा- एक सच ।

जब जन्म लिया इस माटी में,

तब आँखो तले अँधेरा था,

जब पलक उठी इस दुनिया में,

माँ के आँचल में हुआ सवेरा था,

फिर दिन चढ़ने और ढ़लने कि,

गुत्थी सुलझाने बैठ गया...,

जब एक तरफ देखा उजियाला

तो दूजी तरफ अँधेरा था ।। 1 ।।

 

छोटा था तो मन में मेरे,

उठता था एक बड़ा अँधेरा ?

क्यूँ रात होती हैं काली,

क्यूँ दिन को होता हैं सवेरा,

किसी ने बोला ये नियम प्रकति का,

तो कोई कहे इन्हे ग्रहों कि चाल...,

पर सच…

Continue

Posted on November 25, 2015 at 7:30pm — 2 Comments

शाकाहारी

“और भाईजान कैसे है...सब खैरियत तो हैं न?” चिकन शॉप में काम करने वाले प्रकाश के मित्र जावेद ने शिष्टाचार के तहत पूँछा ।

“बस, रहम हैं ऊपर वाले का..और तुम्हारी कैसी गुजर रहीं है, बड़े दिन बाद आना हुआ ईधर ।” प्रकाश ने कहा ।

“बस, काम के सिलसिले में दिल्ली गया था कल ही तो लौटा हूँ...सोचा प्रकाश भाई कि शॉप से चिकन लेता आऊँ वैसे भी बड़े दिन हो गये तुम्हारे दुकान का चिकन खाए हुए ।” जावेद ने जवाब देते हुए कहा ।

“हाँ...हाँ, क्यों नहीं ।” प्रकाश ने कहा ।

“अरे! यार प्रकाश तुम…

Continue

Posted on October 18, 2015 at 7:13pm — 6 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 6:00pm on October 18, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है।
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
6 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
7 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
7 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
8 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
9 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
18 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service