1222-1222-1222-1222
मुझे गम के समन्दर में अभी बहना नहीं आया ।
सभी यारो ने माना ये सच्च कहना नहीं आया ।।
मुझे कहते रहे कायर इश्क के सूरमां सारे ।
मगर हम मौन हो गए और कुछ कहना नही आया ।।
अरे! हम भी यहाँ उस बात का इजहार कर देते ।
मुझे गजलो में अपनी बात को कहना नहीं आया ।।
छन्द कहता गजल से ये इश्क उनको नहीं होता
अश्रू से गर जिन्हे दो आँख का धोना नहीं आया ।
चलो मैं मानता हूँ की मेरे आँसू नहीं होते ।
मगर तुम सोचना ये मत हमें रोना नही आया।
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
जी भाईजी....जहाँ तक मैं अपने गजल ज्ञान के विषय में बात करू तो ये भी लगभग शून्य ही हैं.......लेकिन इतना विश्वास दिलाता हूँ कि आप जैसे भाईजनों और गजल के उस्तादों के मार्गदर्शन से मैं एक अच्छा गजलकार बनने के लिए जीं-तोड़ मेहनत करूँगा । आपको मुझमें एक अच्छे शायर कि समंभावना दिखती हैं इसके लिए आपका ह्रदय कि गहराईयों से धन्यवाद ।
प्रिय भाई ,
भाई कहने के लिए अनुमति लेने की जरुरत नहीं होती। खुले मन से भाई कहिए मुझे।
मैं ग़ज़ल विधा के शिल्प के बारे में कुछ नहीं जानता मगर इतना जरूर पहचान पाता हूँ कि इस शायर में कुछ तो है। आप में यही दिखा था मुझे।
खुश रहें
समर साहब मैं गजल को सीखने की दिशा में मेहनत कर रहा हूँ जल्द ही एक और प्रयास के साथ मंच पर प्रस्तुत होऊँगा । सादर ।
प्रदीप भइया मैंने अपनी रचनाओँ पर आज तक जितनी भी टिप्पणिया पढ़ी थी ये अब तक कि सबसे जानदार थी । सर जी मैं आपकी अनुमति के बिना आपसे ये अधिकार माँग रहा हूँ कि मैं आपको भाईजी पुकार सकूँ ।
बस, आप सब का आशीर्वाद मिलता रहे भाईजी मैं जल्द ही एक अचछी गजल के साथ प्रस्तुत होऊँगा । सादर ।
भाई दिग्विजय आप में अपार संभावनाएं हैं। आप मन से लिखते हैं , सिर्फ कलम से नहीं। बधाई
हाँ आपकी इस उर्दू ग़ज़ल में मौन ,कायर तथा सच्च जैसे शब्द , हो सकता है मात्राओं पर पूरे उतर रहे हों , अच्छा प्रभाव नहीं डाल रहे।
उर्दू बहुत मीठी बोली है दोस्त , उसके शब्द इनकी जगह मिल जाएंगे।
और हाँ , थोड़ा मजाक कर लूँ ?
आप ग़ज़ल-सम्राट श्री श्री आमोद बिंदोरी जी से ग़ज़ल लिखना सीख लें जिन्होंने यहाँ इतनी शानदार टिप्प्पणी की है। इतनी शानदार टिप्पणी मिलने पर आपको चाहिए कि उनके ब्लॉग पर हो ही आएं एक बार। मैं गया था , तबियत प्रसन्न हो गई यार। बहुत सीख कर आया वहां से
आदरणीय मुकेश साहब आपने मेरी इस रचना में भी एक खूबसरत अहसास कि खोज कर ली मुझे जानकर प्रसन्नता होती हैं शायद मेरे भाव आप तक सही ढंग से पहुँच गये। आपका बहुत बहुत धन्यवाद माननीय ।
आदरणीय Srivastava amod bindouri जी के अनुसार ये जानकर कि ये गजल जैसा जो भी हैं गजल के दायरे से बिल्कुल बाहर निराशा होती परन्तु अगली पंक्ति में उन्होने मुझे जो संबल प्रदान किया इसके लिए उनका तहे दिल से शुक्रिया मैं जल्द ही एक नयी गजल के साथ पेश होऊँगा आदरणीय बिन्दौरी साहब । सादर
khoobsoorat ehsaas - badhaee bhaee jee
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