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पलों को बीतने में लग रहीं सदियां
बेक़रारी हो औ सुकूं आये कब हुआ है ये
हसीन पल भी ज़िन्दगी के नहीं कटते काटे
और वो हैं क़ि रुक गए दहलीज़ पे आते आते
छा गए हैं वो ख़्वाब में क़हर बन के
कि पलकें भी अब झुकाने में बहुत डर लगता
उनके जाने की तारीख तो मुकम्मल लेकिन
वो आंएगे कब इसका कहाँ पता चलता...
आँख के आंसू सब बयां करते है
भरे गले से शब्द कहाँ झरा करते हैं
ये वफा थी न थी अब परवा कहाँ किसको
टूट कर दिल तो बस आहे…
ContinuePosted on June 27, 2016 at 5:30pm — 3 Comments
जबतक तलाश थी सहारे की ऐ नादां !
तन्हा हमें यूँ छोड़, कारवां गुज़र गये...
अब हम सहारा खुद के जब से बना किए
हम एक हैं, पर देखो कन्धे अनेक हैं
कागज़ की नाव की क्या थी बिसात, तैरे
जबतक न हवाएं-लहरें हो साथ मेरे
तिनके भी आंधियों मे वृक्षों से ऊपर लहरें
नामुमकिन होता मुमकिन, जब वक्त लेता फेरे
रुक न पाया सफर ये चलता रहा है राही
पर साथ साथ बढ़ती राहों की भी लम्बाई
किससे करे वो शिकवे होनी कहाँ सुनवाई
मंज़िल की…
ContinuePosted on June 26, 2016 at 1:00pm — 5 Comments
अच्छे दिन की यही तो शुरुआत है
सब बिज़ी ही रहें,खुशनुमा बात है
बात तन्हाइयों की चलाना नही
सब अंधेरे हो रुखसत, तो क्या बात है!!
झटका बिजली का अबतक तो खाया नही
रोशनी है मुसलसल,बड़ी बात है
जिन्दगी के सबब, वे सिखाने चले
जो जिये ही नही,क्या अज़ब बात है
मुफलिसी जिन्द़गी की अमानत सही
नूर झांका कमश्कम शुरुआत है
फालतू जिन्दगी यूँ ही ढोते रहे
एक मिशन अब मिला, खुशनुमा बात है
संगदिल बिन हुये सब चलें संग संग
आज सूरज से अपनी मुलाकात है
रोशनी हाथ…
Posted on April 20, 2016 at 10:39am
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मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
किसी भी जानकारी के लिये आप का स्वागत है ,
http://www.openbooksonline.com/forum/topics/obo-3?id=5170231%3ATopic%3A19991&page=13#comments
http://www.openbooksonline.com/forum/topics/obo-3/showLastReply
http://openbooksonline.com/xn/detail/5170231:Comment:19883?xg_source=activity
दोस्तों नेट की खराबी के चलते मैं तरही मुशायरा में शामिल नहीं हो पाया लेकिन मेरी इसमें शामिल होने की बड़ी इच्छा थी चार लाइन पेश करना चाहता हूँ और लेट लतीफी की माफ़ी भी ...
जिनकी बातों से चिढ होती थी कभी
उन्ही को फर्शी सलाम बजाना है...
जिनके पीछे पड़े थे कभी पुलिस के दस्ते
उन्ही के कदमों में जा गिरा ज़माना है
सदस्य टीम प्रबंधनRana Pratap Singh said…
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