For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Mohan Begowal
Share on Facebook MySpace

Mohan Begowal's Groups

 

Mohan Begowal's Page

Latest Activity

Mohan Begowal replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-89 (विषय: बाज़ार)
"         बाज़ार की अवधारणा उस दिन वह खाली हाथ लौट रहा था। वह सोचता है, "यहाँ सब कुछ ख़रीदा और बेचा जाता है, आजकल मेहनत क्यों नहीं है।" "हाँ, अवश्य," उसने फिर स्वयं को उत्तर देते हुए कहा कि उस दिन मास्टर…"
Aug 30, 2022
Mohan Begowal replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-146
" आदरणीय लक्ष्मण भाई जी , धन्यवाद जी  "
Aug 28, 2022
Mohan Begowal replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-146
" आदरणीय चेतन जी , बहुत शुक्रिया जी "
Aug 28, 2022
Mohan Begowal replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-146
"अगर तुम दवा हम बताने लगेंगे। दिया  दर्द  जाते  ज़माने लगेंगे।   अगर आँख से दिल छुपाने लगेंगे। ये सपने हकीकत चुराने  लगेंगे।   छुपा रख अभी वक्त आया नहीं है, बिना इस जरूरत  दिखाने लगेंगे।   हमें जिंदगी ने तो गौहर…"
Aug 27, 2022
Mohan Begowal replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-88 (विषय: 'संतान)
"आदरनीय  तेजवीर जी , बहुत शुक्रिया जी "
Jul 31, 2022
Mohan Begowal replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-88 (विषय: 'संतान)
"संतान आज उसके माता-पिता दोनों बेटी को उसके नए पद पर छोड़कर घर आए। भले ही वे हिम्मत से आगे बढ़ रहे थे, लेकिन फिर भी... जबकि पहले जरूरत के मुताबिक रहने के लिए घर न मिलने की चिंता थी। लेकिन जब उसे घर जैसे बड़े घर का हिस्सा मिल गया तो उसे इस बात की…"
Jul 31, 2022
Mohan Begowal replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-62 (विषय: मर्यादा)
"  आदरनीय गणेश भाई जी , सुंदर लघुकथा के लिए बधाई हो "
May 31, 2020
Mohan Begowal replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-62 (विषय: मर्यादा)
"     आदरनीया अर्चना जी , धन्यवाद "
May 31, 2020
Mohan Begowal replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-62 (विषय: मर्यादा)
"   अद्निया शहजाद जी , बहुत मेहरबानी "
May 31, 2020
Mohan Begowal replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-62 (विषय: मर्यादा)
" आदरनीय राणा जी , धन्यवाद जी "
May 31, 2020
Mohan Begowal replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-62 (विषय: मर्यादा)
" आदरनीय तेजवीर जी , बहुत शुक्रिया "
May 31, 2020
Mohan Begowal replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-62 (विषय: मर्यादा)
"  आदरनीय तेजवीर जी, कमाल की पेशकारी , हार्दिक बधाई हो "
May 31, 2020
Mohan Begowal replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-62 (विषय: मर्यादा)
"आदरनीया वीना जी , अच्छी लघुकथा की बधाई हो "
May 31, 2020
Mohan Begowal replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-62 (विषय: मर्यादा)
"  आदरनीय मनन जी , बहुत सुंदर लघुकथा के लिए बधाई हो "
May 31, 2020
Mohan Begowal replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-62 (विषय: मर्यादा)
"आदरनीय शहजाद भाई , अच्छी लघुकथा हुई बधाई हो "
May 31, 2020
Mohan Begowal replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-62 (विषय: मर्यादा)
"आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा जी , समाजिक तब्दीली को लेकर अच्च्छी लघुकथा हुई , बधाई हो "
May 31, 2020

Profile Information

Gender
Male
City State
Amritsar
Native Place
Begowal
Profession
Medical
About me
Professor

Mohan Begowal's Blog

जिंदगी की उधेड़बुन (लघुकथा )

सुबह आठ बजे से उसका साईकल इस एवन्यु में घूम रहा था । उसके भोंपू की आवाज़ एवन्यु के हर कोने तक पहुंच चुकी थी।

मगर न कोठी से कोई भी औरत न ही माँ के साथ बच्चा बाहर आया। उसके साईकल पर लगे बड़े, छोटे गुबारे, छोटी बड़ी कार या कोई बजाने वाले खिलौने सभी उस की तरफ झाक रहे थे । दो घंटे हो गए थे इस एवन्यु दाखल हुए। साईकल की रफ्तार भी धीमी हो चली थी। चेहरा उदास और आँखों में नमी बढने लगी अचानक ही उस ने इक कोठी के आगे साईकल आ लगाई, इक बार बेल्ल बजाई कोई जवाब नहीं आया। उसने फिर बेल्ल बजाई। थोड़ी देर बाद…

Continue

Posted on July 8, 2018 at 1:00pm — 5 Comments

ग़ज़ल

   

चाहा ये दिल तेरा पाना हम को।
महका के राहों को जाना हम को।

कहते कोई तो अफ़साना हम भी,
कैसे बुनता ताना बाना हम को।

आये जाये मिलकर बैठे बिछड़ें,
कहना जो भी होता पाना हम को।

कैसा होगा अब ये हम का जीना,
जब राहों इन आना जाना हम को।

औरत बन के तुझको भी आना होगा,
क्यूँ होता इलजाम निभाना हम को।

  1. मौलिक व अप्रकाशित

Posted on July 7, 2018 at 3:07pm — 8 Comments

जुआ (लघुकथा)

 ड्यूटी के बाद मैं घर को पैदल चल पड़ा। ऐसा आजकल मैं अकसर ही करता हूँ। क्यूँ कि डाक्टर ने मुझे ज्यादातर पैदल चलने को कहा है। कुछ कदम चलते ही मेरे साथ रिक्शा इक रिक्शा भी चलने लगा।

चलते हुए बार बार रिक्शे वाला रिकशे पर बैठने को कहता रहा।

“बाऊ जी,दस दे देना,मगर मैं चलता रहा, फिर उसने पास आकर कहा,चलो पाँच ही दे देना।"

“अरे भाई, बात पाँच या दस की नहीं, मैंने कहा। मैं बैठना नहीं चाहता।"

मगर इस बार उस के कहने में एक तरला सा लगा, “बाऊ जी, बैठ जाओ न।“

आखिर, मैं रिक्शे…

Continue

Posted on July 4, 2018 at 11:30pm — 9 Comments

बड़ा सवाल(लघुकथा )

गीता पाठशाला से अभी घर पहुंची, उसने आते ही माँ से सवाल किया, “ प्रोजेक्ट पर काम तो हम सब बच्चों ने किया था।”

“हाँ, प्रोजेक्ट तो होता ही है कि सभी बच्चे एक साथ काम करें।” मम्मी ने गीता को समझाने के अंदाज़ में कहा

“तो प्रोजेक्ट हम सभी बच्चों की मेहनत से पूरा हुआ ” गीता ने फिर कहा।

"हाँ " ।

“इस का क्रेडिट भी हम बच्चों को मिलना चाहिए ”, गीता ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा

“मगर इनाम तो हमें नहीं मिला", ये तो प्रिंसिपल को मिला” गीता ने कहा

“हाँ, बच्चे ऐसा ही होता है,…

Continue

Posted on July 3, 2018 at 11:00pm — 9 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 6:57pm on May 17, 2025, Erica Woodward said…

I need to have a word privately,Could you please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com)Thanks.

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
Thursday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
May 31
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
May 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service