आप सब को मजदूर दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
मजदूर
मजबूर हूँ मजदूरी से पेट का
गुजरा अब हाथ से निकल रहा,
अब हम चुप कब तक रहे,
हृदय हमारा पिघल रहा,
मेहनत करके नीव रखी देश की,
अब सब बिफल रहा,
अपने हकों के लिए चुना नेता,
देखो हम को ही निगल रहा,
डिग्री लेकर कोई इंजिनियर
कुर्सी पर जो रोब जमता है
देखा जाय तो बिन मजदूर…
Posted on May 1, 2013 at 3:32pm — 3 Comments
जगाता रहा
समय का चाबुक
जन जन को !
निगाहों पर
तस्वीरों के निशान
उभर आते !
सोयी आँखों में
सपने बनकर
बिचरते हैं !
संकेत देते
बढ़ते कदमो को
संभलने का !
इंसानी तन
लिप्त था लालसा में
नजरें फेरे !
संभले कैंसे
रफ़्तार पगों की
बेखबर दौड़े !
रचना – राजेन्द्र सिंह कुँवर ‘फरियादी’
Posted on February 26, 2013 at 7:30pm — 4 Comments
नमन करूँ मैं इस धरती माँ को,
जिसने मुझको आधार दिया,
पल पल मर कर जीने का
सपना ये साकार किया !
हिम शिखर के चरणों से मैं,
दुःख मिटाने निकला था,…
Posted on February 25, 2013 at 10:00am — 8 Comments
सब कुछ अपने पर सहती है,
तूफान उड़ा ले जाते मिटटी,
सीना फाड़ के नदी बहती है !
सूर्यदेव को यूँ देखो तो,
हर रोज आग उगलता है,
चाँद की शीतल छाया से भी,
हिमखंड धरा पर पिघलता है !
ऋतुयें आकर जख्म कुदेरती,
घटायें अपना रंग…
ContinuePosted on February 13, 2013 at 12:30pm — 11 Comments
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Comment Wall (6 comments)
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स्वागत है आप का
रजिंदर जी , मित्रता के लिए धन्यवाद , क्यूंकि हिन्दी मेरी मातृभाषा नहीं, पर कोश्शि शुरू की है
आपने मुझे मित्रता योग्य समझा इसके लिए आपका आभार!
आपका स्वागत है
बहुत-२ धन्यवाद राजेंद्र भाई जी...
राजेन्द्र जी आपका स्वागत है