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Posted on September 28, 2011 at 11:08pm — 1 Comment
अश्कों से चश्में-तर कर गया कोई।
वीरान सारा शहर कर गया कोई।।
सारा जहाँ मुसाफिर है तो फिर क्या मलाल।
गर किनारा बीच सफर कर गया कोई।।
नावाकिफ थे जो राहे-खुलूस से।
उन्हें इल्म पेशे-नजर कर गया कोई।।
जिनकी जुबाँ से नफरत की बू आती थी।
उन्हें उलफत से मुअतर कर गया कोई।।
जिंदगी का सफर काटे नहीं कटता चंदन।
तन्हा जिसे हमसफर कर गया कोई।।
नेमीचंद पूनिया चंदन
Posted on August 1, 2011 at 5:00pm — 3 Comments
गजल-
सोच समझकर कदम उठाना।
कहीं ऐसा न हो पडे पछताना।।
यह दुनियां इतनी गोल है दोस्तों।
कोई न यहां अटल ठहराना।।
जिसने गम को खा लिया।
उसे क्या खाना औ खिलाना।।
जिनको कोई समझ नहीं हैं।
मुश्किल हैं उनको समझाना।।
हुक्म देना आसाँ होता हैं लेकिन।
मुश्किल हैं करना औ करवाना।।
अभी आज कल या बरसो बाद।
आखिर इक दिन सबको जाना।।
नसीब में लिखा ही मिलता हैं।
सबको यहां पे आबो-दाना।।
हम तो तेरे हो…
Posted on June 4, 2011 at 12:30pm
गजल
आंखों में उल्फत का अंजन लगाईए।
टूटते हुए रिश्तों पे बंधन लगाईए।।
गर जज्बातो में नफरत की बू आये तो।
ऐसे सवालातों पे मंजन लगाईए।।
जब कभी जुल्मो-सितम हद से गुजर जाये।
तब अम्न के लिये जानो-तन लगाईए।।
लेने के बदले कुछ देना भी सिखिये।
हर जगह मुफ्त का ना चंदन लगाईए।।
जब रंजों-गम से दिल चंदन बेकरार हो जाये।
तब अंतस में धुन अलख निरंजन लगाईए।।
Posted on June 2, 2011 at 12:00pm — 3 Comments
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मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
सदस्य टीम प्रबंधनRana Pratap Singh said…
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मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…