For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ram shiromani pathak
  • 36, Male
  • India
Share on Facebook MySpace

Ram shiromani pathak's Friends

  • seemahari sharma
  • rajveer singh chouhan
  • गिरिराज भंडारी
  • Abhishek Kumar Jha Abhi
  • Harish Upreti "Karan"
  • Devendra Pandey
  • D P Mathur
  • Priyanka singh
  • Usha Taneja
  • Kedia Chhirag
  • अशोक कत्याल   "अश्क"
  • prashant suman
  • Dr. Swaran J. Omcawr
  • Kailash kumar jain
  • ASHISH KUMAAR TRIVEDI
 

ram shiromani pathak's Page

Latest Activity

ram shiromani pathak commented on Saurabh Pandey's blog post तीन मुक्तक // - सौरभ
"तीनों मुक्तक बहुत सुंदर लगे आदरणीय।।साधुवाद"
May 3, 2019

Profile Information

Gender
Male
City State
Surat(Gujarat)
Native Place
Bhadohi (Uttar Pradesh)
Profession
managing director at metro electronics........
About me
Simple,Honest&Hard worker...............

Ram shiromani pathak's Blog

ग़ज़ल(212)

उम्रभर।
मोतबर।।

मुश्किलें।
तू न डर।।

ताकती।
इक नज़र।।

धूप में।
है शज़र।।

वो तेरा।
फिक्र कर।।

रात थी।
अब सहर।।

इश्क़ ही।
शै अमर।।

मौलिक/अप्रकाशित

राम शिरोमणि पाठक

Posted on June 19, 2018 at 8:29am — 10 Comments

ग़ज़ल(2122 1212 22)

जो तेरे आस पास बिखरे हैं।।

वो मेरे दिल के सूखे पत्ते हैं।।

काग़ज़ी फूल थे मगर जानम।।

तेरे आने से महके महके हैं।।

याद आती है उनकी जब यारों।

मुझमे मुझसे ही बात करते हैं।।

बदली किस्मत ज़रा सी क्या उनकी।।

वो ज़मीं से हवा में उड़ते है।।

जिनके ईमान ओ अना हैं गिरवी।।

वो भी इज़्ज़त की बात करते है।।

'राम' बच के रहा करो इनसे।

ये जो कातिल हसीन चेहरे है।।

मौलिक/अप्रकाशित

राम शिरोमणि…

Continue

Posted on May 29, 2018 at 11:48am — 8 Comments

ग़ज़ल 212×4

ख्वाब थे जो वही हूबहू हो गए।
जुस्तजू जिसकी थी रूबरू हो गए।।

इश्क करने की उनको मिली है सज़ा।
देखो बदनाम वो चार सू हो गए।।

फ़ायदा यूँ भटकने का हमको हुआ।।
खुद से ही आज हम रूबरू हो गए।।

बेचते रात दिन जो अना को सदा।
वो ज़माने की अब आबरू हो गए।।

आप कहते न थकती थी जिनकी ज़ुबां।
आज उनके लिए हम तो तू हो गए।।

मौलिक /अप्रकाशित

राम शिरोमणि पाठक

Posted on May 23, 2018 at 12:21pm

ग़ज़ल(2122 1212 22)

मुंतजिर हूँ मैं इक जमाने से।
आ जा मिलने किसी बहाने से।।

उनकी गलियों से जब भी गुजरा हूँ।
ज़ख़्म उभरे हैं कुछ पुराने से।।

दिल की बातें ज़ुबां पे आने दो।
कह दो! मिलता है क्या छुपाने से।।

मेरे घर भी कभी तो आया कर।
ज़िन्दा हो जाता तेरे आने से।।

इश्क़ की आग राम है ऐसी।
ये तो बुझती नहीं बुझाने से।।

मौलिक/अप्रकाशित

राम शिरोमणि पाठक

Posted on May 21, 2018 at 11:30pm — 8 Comments

Comment Wall (18 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 9:06pm on March 1, 2014,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

जन्म दिन की हार्दिक बधाई, ईश्वर आपको प्रत्येक क्षेत्र में सफल करें ......

At 5:30pm on December 13, 2013, Dr Dilip Mittal said…

 क्षणिकाये पसंद आने के लिये  धन्यवाद 

At 10:34pm on November 24, 2013, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

राम शिरोमणि जी

आपकी सराहना सर आँखों परi

आभार i

At 1:14am on July 11, 2013, डॉ नूतन डिमरी गैरोला said…

आदरणीय राम शिरोमणि जी! .. जन्मदिन पर आपकी शुभकामनाएं मिली ... आपका ह्रदय से आभार 

At 8:03pm on July 10, 2013, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

आ0 राम शिरोमणि भाई जी,  आपकी जन्म दिन शुभकामनाएं मेरे लिए दिव्य उपहार ही है।  आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार।  सादर,

At 5:39pm on June 8, 2013, D P Mathur said…

आदरणीय रामशिरोमणि पाठक जी आपका सादर आभार । डी पी माथुर

At 10:52pm on May 9, 2013, coontee mukerji said…

भाई पाठक जी, आप कहाँ हैं....बहुत दिन हुए आप दर्शन नहीं दे रहे.....आशा है आप स्वस्थ व सकुशल हैं.

At 5:19pm on April 22, 2013,
सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh
said…

प्रिय राम शिरोमणि जी,

आपके सद्वचनों के लिए आपकी आभारी हूँ.

हम सभी अपनी ज़िंदगी में अनेक रोल जीते हैं... मेरा बस इतना ही प्रयास रहता है कि मैं हर रोल को पूरी इमानदारी से ही जियूँ..पूरा १०० प्रतिशत. शायद यही एक इंसान से हर रूप में हम सभी से अपेक्षित भी होता है ? 

स्नेहाशीष.

At 9:24pm on April 18, 2013, ram shiromani pathak said…
Thanks a lot#########
At 3:17pm on April 7, 2013, Abhinav Arun said…

आदरणीय श्री पाठक जी , माह का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं !

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service