अंततः हम एकल ही थे
स्मृति में कहाँ रही सुरक्षित
जन्म लेने की अनुभूति
और ना होशो हवास में
मौत को जी पायेंगे
समस्त
कौतुहल विस्मय
अघात संताप
रणनीति कूटनीति तो
मध्य में स्थित
मध्यांतर की है
उसमे भी
जब तुमने
ज़मीन छीनकर ये कहा की
सारा आकाश तुम्हारा
मैंने पैरों का मोह त्याग दिया
और परों को उगाना सीख लिया
अब बाज़ी मेरे हाथ में थी
लेकिन हुकुम का इक्का
अब भी तुम्हारे…
ContinueAdded by Gul Sarika Thakur on January 2, 2013 at 9:33am — 12 Comments
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