खनकी,झनकी,लिपटी मुझसे पियकी चुटकी चटकी सि भली
हलकी फुलकी छलकी बलकी, ठुमकी सिमटी सलकी सि कली
Added by Ashish Srivastava on January 21, 2014 at 11:08am — 6 Comments
ममता का चित बड़ा चंचल चपल तब
तन मे सचल मन बड़ा ही प्रचल है
रमता ये जोगी छोटा नाटा ये कपट कब
तन में उदित मन बड़ा ही स्वचल है
समता का भाव जागा मन में भी मेरे अब
तन में न हलचल मन निशचल है
तमता नहीं है भाव में रहे निचल रब
तल में अतल में वितल में अचल है
मौलिक एवं अप्रकाशित
आशीष (सागर सुमन)
Added by Ashish Srivastava on January 8, 2014 at 5:58pm — 9 Comments
गीत भी लिखे कलम भारती के गान के तो,
कागज भी नाच के ही आन करने लगा
वंदन हजार माँ को छंद ने किये है और
पंक्ति पंक्ति लिख के ही गान करने लगा
स्याही शूर वीरता के मंत्र लिखती गयी तो
अक्षर भी अक्षर का मान करने लगा
देशप्रेम वाला भाव मन में बसा लिया तो
शब्द शब्द राष्ट्र को सलाम करने लगा
मौलिक एवं अप्रकाशित
आशीष ( सागर सुमन)
Added by Ashish Srivastava on January 8, 2014 at 11:00am — 12 Comments
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