मैं राजपथ हूँ
भारी बूटों की ठक ठक
बच्चों की टोली की लक दक
अपने सीने पर महसूसने को
हूँ फिर से आतुरI
सर्द सुबह को जब
जोश का सैलाब
उमड़ता है मेरे आस पास
सुर ताल में चलती टोलियाँ
रोंद्ती हैं मेरे सीने को
कितना आराम पाता हूँ
सच कहूं ,तभी आती है साँस में साँस
इतराता हूँ अपने आप पर I
पर आज कुछ डरा हुआ हूँ
भविष्य को लेकर चिंतित भी
शायद बूढा हो रहा हूँ…
ContinueAdded by pratibha pande on January 25, 2016 at 4:52pm — 8 Comments
पूरी रफ़्तार से गाड़ी चला रहा था वो ,फिर भी काइनेटिक में सवार पिज़्ज़ा वाले लड़के से आगे नहीं निकल पा रहा था Iपिज़्ज़ा वाला पीछे मुड़ मुड़ कर उसे देखता हुआ हंस रहा था Iतभी उसने देखा कि पिज़्ज़ा वाले के पीछे निशा भी बैठी है I" रुक जा , आज मै तुझसे पहले टाइम पर पहुँच जाऊँगा, और निशा तुम कहाँ जा रही हो ?सुनो तो ,निशा ..निशा " वो जोर से चीखा I
"क्या चिल्ला रहे हो नींद में अरुण ?"पत्नी निशा उसे झंकझोर रही थी Iपसीने से लथ पथ वो उठ बैठा I
"निशा " पत्नी का हाथ पकड़ लिया उसनेI "सॉरी ,कल रात भी…
ContinueAdded by pratibha pande on January 4, 2016 at 4:00pm — 10 Comments
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