बह्र - मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम
अरकान - 122 122 122 122
किसी को मुकम्मल जहाँ देने वाले
किसी को नया आसमां देने वाले
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कि बहती हवा…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on February 17, 2021 at 4:30am — 3 Comments
बह्र ~ "बह्र-ए- वाफिर मुरब्बा सालिम"
12112 12112 12112 12112
न चैन पाये है की न सुकूँ .....................ही पाये कोई
ऐसे ले के दर्द ए दिल है जिये.................ही जाये कोई
के चोट जो खाये अपनो से ही ...............अगर
तो ले के भी दिल को अपने कहाँ.............ही जाये कोई
अज़ीब है हाल इश्क में भी.....................सनम है न दवा दिल…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on February 16, 2021 at 10:00am — No Comments
122 2122 2122 2122 2
उखाड़ेंगीं भी क्या मिलकर हज़ारों आँधियाँ अपना
पहाड़ों से भी ऊँचा सख़्सियत का है मकां अपना
मिटाकर क्या मिटायेगा कोई नाम-ओ-निशाँ अपना
मुक़ाम ऐसा बनाएंगे ज़मीं पर मेरी जाँ अपना
चला है गर चला है डूबकर मस्ती में कुछ ऐसे
नहीं रोके रुका है फिर किसी से कारवाँ अपना
पहुँचने में जहाँ तक घिस गये हैं पैर लोगों के
वहाँ हम छोड़ आये हैं बनाकर आशियाँ…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on February 15, 2021 at 3:30pm — 3 Comments
21 21 21 21 2
एक और दास्तां सुनो
एक और खूँ चकां हुई
एक और दर्द बड़ गया
एक और राज़दाँ हुई
एक और दाग लग गया
एक और जाँ निहाँ हुई
एक और रूह जम गई
एक और ख़त्म जाँ हुई
एक और आग लग गई
एक और लौ तवाँ हुई
एक और फूल आ गया
एक और सब्ज माँ हुई
एक और हादसा हुआ
एक और बे अमाँ हुई
एक और बचपना गया
एक और रूह जवाँ हुई
एक और…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on February 14, 2021 at 8:27pm — No Comments
2122 2121 1212 22
तुम जो साड़ी में यूँ खिलता गुलाब लगती हो
दिल ये कहता है की बस लाजवाब लगती हो
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किस तराज़ी से तराशा है तुम्हें रब ने भी
दिल पे लगती हो तो सीधे जनाब लगती हो
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हो गई सारी फ़ज़ा देख कर यूँ ही ताजा
चाँद जैसा है बदन पर खुशाब लगती हो
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रोज़ करते हैं इबादत अज़ब करिश्मा है
आयतों की…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on February 12, 2021 at 10:30am — No Comments
1222 1222 1222 1222
कहानी कोई हो अपने मुआफ़िक़ मोड़ लेते हैं
सभी किरदारों से किरदार अपना जोड़ लेते हैं
बड़ी तकलीफ़ देती हैं के चलती हैं ये साँसें भी
बड़े फाज़िल हैं हम भी रोज़ खुशियाँ जोड़ लेते हैं
ब-ज़िद हैं आस्तीं के साँप…
Added by Aazi Tamaam on February 11, 2021 at 10:00am — 2 Comments
2122 2122 2122 212
प्यार भी करता रहा दिल को जलाता भी रहा
जिंदगी भर मेरी चाहत आज़माता भी रहा
बेबसी की दास्तां किसको सुनाये दिल भला
उम्र भर गम भी रहा और मुस्कुराता भी रहा
बेकरारी में कोई पागल रहा कुछ इस कदर
लौ जलाता भी रहा और लौ बुझाता भी रहा
दिल्लगी भी क्या गज़ब की दास्तां है…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on February 11, 2021 at 12:00am — 4 Comments
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