माना की बहूत दर्द है आज हमारे सीने में,
पर महज तड़प से नहीं बदलेगी,हालात दोस्तों,
कुछ ना पावोगे उम्मीदों की महफ़िल सजाने से,
जब तक हो ना उसपे अमल की बरसात दोस्तों.
कल का चेहरा दुनिया में देखा है किसने अबतक,
जो भी करना है कर दो…
Added by Noorain Ansari on February 24, 2012 at 6:30pm — 2 Comments
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