बसंत की शोभा बनती
कोयल मीठी बोलती
डाली डाली पर उड़ती
अमृत रस है घोलती
राही से कुछ कहती
नव उमंग से भरती
तन की पीड़ा हरती
मन में खुशियाँ भरती
कड़वाहट को दूर करती
सबका दिल है जीतती
प्यारी सबको लगती
कौवे पर नजर रखती
सदा मेहनत से बचती
घोसले का इंतेजार करती
मौका देख खुद अंडे देती
कौवे के अंडे बाहर करती
उसके संग साजिस करती
बच्चों को नहीं पालती
कोयल कौवे संग…
ContinueAdded by Ram Ashery on February 13, 2016 at 4:30pm — No Comments
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