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Poonam Shukla's Blog – February 2014 Archive (2)

ग़ज़ल - जीत गाएगी थोड़ा सबर कीजिए - पूनम शुक्ला

2122. 1221. 2212





जा चुकी यामिनी मुश्तहर कीजिए

हो सके अब तो थोड़ा सहर कीजिए



भेज दें गंध जो भी हो आकाश में

गुलशनों को कहीं तो खबर कीजिए



हर तरफ आग ही आग जलती तो है

तान सीना उसे बेअसर कीजिए



झूठ की आज चारों तरफ जीत है

सत्यता की कहानी अमर कीजिए



जुल्म की रात हरदम डराती हमें

जालिमों का खुलासा मगर कीजिए



तीरगी घेर ले गर कभी राह में.

अश्क से फिर न दामन यूँ तर कीजिए.



रेत सी जिन्दगी हाथ आती… Continue

Added by Poonam Shukla on February 27, 2014 at 12:05pm — 9 Comments

ग़ज़ल- रंग हैं क्यों सात मत पूछो - पूनम शुक्ला

2122. 2122 2



कहनी क्या थी बात मत पूछो

कब ढ़लेगी रात मत पूछो



जिन्दगी ने खेल है खेला

किसने दी है मात मत पूछो



थाम कर तुम को चले थे हम

कब थमेगी रात मत पूछो



बैठ हँसते हर तरफ जाबिर

देश के हालात मत पूछो



देखना तासीर भी उनकी

आदमी की जात मत पूछो



जौफ़ ही है हर तरफ बरहम

रंग हैं क्यों सात मत पूछो



है यहाँ हर राह सरगश्ता

क्यों नहीं प्रभात मत पूछो



तासीर- गुण ,प्रभाव

जाबिर -…

Continue

Added by Poonam Shukla on February 14, 2014 at 10:00am — 9 Comments

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