26)
अपने मन का भेद छिपाए।
मेरे मन में सेंध लगाए।
रखता मुझ पर नज़र निरंतर।
क्या सखी साजन?
ना सखि, ईश्वर!
27)
हरजाई दिल तोड़ गया है।
मुझे बे खता छोड़ गया है।
नहीं भूल पाता उसको मन।
क्या सखि साजन?
ना सखि बचपन!
28)
जब से उससे प्रीत लगाई।
थामे रहता सदा कलाई।
क्षण भर ढीला करे न बंधन।
क्या सखि साजन?
ना सखि, कंगन!
29)
जब भी देना चाहूँ प्यार।
बेदर्दी कर देता…
ContinueAdded by कल्पना रामानी on March 1, 2014 at 11:30am — 22 Comments
एक मासूम कली
भंवरे के स्पर्श से
खिल उठी
मुस्काई
हर्षाई
लिया पुष्प सा रूप
एक दिन
भंवरा उसका खो गया
पुष्प का हाल बुरा हो गया
उदास बेचैन पुष्प को चाहिए था
थोड़ा प्यार
थोड़ा दुलार
थोड़ी हंसी
थोड़ी हमदर्दी
जो ना मिल पाई
फिर एक दिन
आया एक भंवरा
जो उसके आसपास मंडराता
उसे तराने सुनाता
उसे खिलखिलाना सिखाता
पुष्प हुआ पुनर्जीवित
उसके प्यार से
दुलार से
पर
चिंतित…
Added by Sarita Bhatia on March 1, 2014 at 9:30am — 16 Comments
Added by Anurag Anubhav on March 1, 2014 at 12:20am — 19 Comments
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