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Dr.Prachi Singh's Blog – March 2017 Archive (4)

मन में रोंपा है हमने तो केवल केसर ..... नवगीत //प्राची

सौंधा-सौंधा

चहका-चहका

मन में रोंपा है हमने तो

केवल केसर...



बन फुहार कुछ तुम भी बरसो

ख़ुद को आज तरल होने दो,

उहापोह अब छोड़ो सारी

ख़ुद को ज़रा सरल होने दो,



गुमसुम पल बस प्यार भरी इक

आहट से ही खिल जाएँगे,

प्रश्न सदा जो रहे निरुत्तर

उनके भी हल मिल जाएँगे,



कठिन कहाँ है

मन को छूना ?

छू लोगे तो, रंग न छूटेगा

जीवन भर...



सूखा भावों का दरिया तो

जीवन होगा मरुधर जैसा,

फिर बबूल औ' नगफनी… Continue

Added by Dr.Prachi Singh on March 29, 2017 at 3:00pm — 3 Comments

किसे ये सब समझाऊँ .... स्त्री की ज़िंदगी का एक पहलू // डॉ० प्राची

रात सिसकती सुबह सुलगती, है जीवन का लेख

दर्द भरा सागर आँखों में, कौन सका है देख ?

कहाँ मैं अश्रु बहाऊँ ?

किसे मैं व्यथा सुनाऊँ ?



बेटी थी जिस घर की उसने छीन लिए अधिकार

हक़ माँगा तो रिश्तों में पहुँचेगी बड़ी दरार !

क्या बोलूँ ? किससे बोलूँ ? समझेगा मुझको कौन ?

अपने हक़ की बात करूँ या रह जाऊँ फिर मौन ?

कौन सा क़दम उठाऊँ ?

कभी ये समझ न पाऊँ !!!



कठपुतली सा नाच नचाती है मुझको ससुराल

घर की लक्ष्मी का दासी से भी बद्तर है हाल,

जितना… Continue

Added by Dr.Prachi Singh on March 7, 2017 at 9:00am — 12 Comments

हिस्सेदारी आज हमारी बिल्कुल सेम टु सेम .....अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष /डॉ० प्राची

नया रंग, तस्वीर नयी है, आज नया है फ़्रेम

हिस्सेदारी आज हमारी बिल्कुल सेम टु सेम



बड़े-बड़े कामों को झटपट देती हूँ अंजाम

अपनी क़ाबिलियत से मैं छूती हूँ नये मुक़ाम,

सैटेलाइट लाउंचिंग हो या हो अंतरिक्ष अभियान

फ़ाइटर जैट पायलट हो या हो दंगल का मैदान,



जीवन के हर इक पहलू में आज कमाया नेम

हिस्सेदारी...



मैं सूरज से आँख मिला कर जब करती हूँ बात

हर डर को, हर बंधन को तब-तब देती हूँ मात,

जब आवाज़ उठा कर पाया ख़ुद अपना सम्मान

सच्ची… Continue

Added by Dr.Prachi Singh on March 6, 2017 at 12:21pm — 9 Comments

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