इश्क़ की बात चली
रात आँखों में जली
————
मौजूदगी तेरी हर लम्हा मौजूद रहे
तू साथ हो न हो, साथ बावजूद रहे
ख़यालों में गुज़रा ये दिन सारा
शाम यादों में ढली
इश्क़ की बात चली..
————…
Added by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 18, 2012 at 5:57pm — 22 Comments
हाँ मेरे पास कोई सहारा नहीं,
मगर मैं बेबस बेचारा नहीं;
*
सोचता हूँ कुछ मैं भी कहूँ अब
मगर ज़ुबान को ये गवारा नहीं;
*
वो जिसे हम अपना समझते रहे,
आज जाना के वो हमारा नहीं;
*
थोड़ी सी ज़मीन मुट्ठी भर आसमान,
आज…
Added by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 14, 2012 at 12:36pm — 18 Comments
मैं पहाड़ी नदी हूँ…
उसी स्वामी के अस्तित्व से उद्भूत होती
उसी का सीना चीरती, काटती
अपने गंतव्य का पथ बनाती
विच्छिन्न करती प्रस्तरों-शिलाओं को
विखंडनों को भी चाक करती…
ContinueAdded by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 11, 2012 at 2:32pm — 17 Comments
यही है ख़ुदाई उसकी, छोटी सी ये इल्तजा,
जो कभी की थी उससे, पूरी वो न कर सका;
तेरे मेरे बीच हैं अब, मीलों के फ़ासले
कभी सामने थे तुम, आज हो गए परे
तेरे मेरे बीच…
Added by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 2, 2012 at 2:00pm — 21 Comments
है अर्ज़ जो तेरी मैं दूँगी उसे सुना,
हौले से मेरे कान में कहती है ये सबा;
*
अल्फ़ाज़ बहुत आसमाने दिल पर उमड़ रहे हैं,
कोई नहीं बरसता मगर बनकर मेरी दुआ;…
Added by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 1, 2012 at 11:30am — 26 Comments
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