For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Tasdiq Ahmed Khan's Blog – March 2017 Archive (3)

ग़ज़ल (दोस्तों की महरबानी हो गई )

ग़ज़ल (दोस्तों की महरबानी हो गई )

----------------------------------------------

फ़ाईलातुन--फ़ाईलातुन --फाइलुन

यूँ न उनको बदगुमानी हो गई |

दोस्तों की महरबानी हो गई |

भूल बचपन के गये वादे सभी

उनको हासिल क्या जवानी हो गई |

नुकताची को क्या दिखाया आइना

उसकी फ़ितरत पानी पानी हो गई |

यूँ नहीं डूबा है मुफ़लिस फ़िक्र में

उसकी बेटी भी सियानी हो गई |

अजनबी के साथ क्या कोई गया

ख़त्म उलफत की कहानी…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on March 18, 2017 at 8:48pm — 6 Comments

ग़ज़ल (निगाहों से आँसू निकलते रहे )

ग़ज़ल

-------

(फऊलन -फऊलन -फऊलन -फअल )

क़ियामत की वो चाल चलते रहे |

निगाहें मिलाकर बदलते रहे |

दिखा कर गया इक झलक क्या कोई

मुसलसल ही हम आँख मलते रहे |

यही तो है गम प्यार के नाम पर

हमें ज़िंदगी भर वो छलते रहे |

मिली हार उलफत के आगे उन्हें

जो ज़हरे तअस्सुब उगलते रहे |

तअस्सुब की आँधी है हैरां न यूँ

वफ़ा के दिए सारे जलते रहे |

असर होगा उनपर यही सोच कर

निगाहों से आँसू…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on March 15, 2017 at 8:51pm — 16 Comments

ग़ज़ल (हसीनों में मुहब्बत ढूंढता है )

(मफ़ाईलुन-मफ़ाईलुन-फऊलॅन)

हसीनों में मुहब्बत ढूंढता है |

ज़मीं पर कोई जन्नत ढूंढता है |

दगा फ़ितरत हसीनों की है लेकिन

कोई इन में मुरव्वत ढूंढता है |

समुंदर से भी गहरी हैं वो आँखें

जहाँ तू अपनी चाहत ढूंढता है |

मिलेगा तुझको असली लुत्फ़ गम में

फरह में क्यूँ लताफत ढूंढता है |

हैं काग़ज़ के मगर हैं खूबसूरत

तू जिन फूलों में नकहत ढूंढता है |

सियासी लोग होते हैं…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on March 4, 2017 at 9:00pm — 10 Comments

Monthly Archives

2022

2019

2018

2017

2016

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service