(फ़ाइलुन---फ़ाइलुन---फ़ाइलुन---फ़ाइलुन)
हो रहा उनका हर वक़्त दीदार है |
मेरी आँखों में तस्वीरे दिलदार है |
कुछ तो है दोस्तों शक्ले महबूब में
देखने वाला कर बैठता प्यार है |
उनका दीदार मुमकिन हो कैसे भला
उनके चहरे पे बुर्क़े की दीवार है |
मुझ पे तुहमत दग़ा की लगा कर कोई
कर रहा ख़ुद को साबित वफ़ादार है |
चाहे दीदारे दिलबर ,दवाएं नहीं
वो हकीमों मुहब्बत का बीमार है |
उसको क्या वारदाते जहाँ की ख़बर
जो पढ़े ही नहीं…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on March 14, 2018 at 11:30am — 32 Comments
(फ़ऊलन--फ़ऊलन--फ़ऊलन--फ़ऊलन)
शुरूए इनायात करने चले हैं |
वो लगता है आफ़ात करने चले हैं |
ख़ुदा ख़ैर पाबंदियाँ हैं नज़र पर
मगर वो मुलाक़ात करने चले हैं |
यक़ीं ही नहीं उम्र ढलने का उनको
जो तब्दील मिर आत करने चले हैं |
खिलाना है फ़िरक़ा परस्तों को मुंह की
वो लोगों फ़सादात करने चले हैं |
मुहब्बत के अंजाम से हैं वो ग़ाफ़िल
जो इसकी शुरुआत करने चले हैं |
भला किस तरह कर दें उसको नुमायाँ
सनम से जो हम बात करने चले हैं…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on March 8, 2018 at 5:00pm — 18 Comments
(फ़ाइलातुन ---फ़ाइलातुन ---फ़ाइलातुन )
बह्रे आतिश पार करना चाहता हूँ |
आप से मैं प्यार करना चाहता हूँ |
जिस खता की आपने मुझको सज़ा दी
वो खता सौ बार करना चाहता हूँ |
शहरे दिलबर छोड़ कर जाने से पहले
मैं विसाले यार करना चाहता हूँ |
बंदिशें मेरी निगाहों पर हैं लेकिन
उन का मैं दीदार करना चाहता हूँ |
फेर कर बैठे हुए हैं आप चहरा
मैं निगाहें चार करना चाहता हूँ |
मैं ख़ुदा हाफ़िज़ तुम्हें कहने से पहले
इश्क़ का…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on March 3, 2018 at 6:30pm — 9 Comments
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